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पीएम मोदी के नेतृत्व में डिफेंस सेक्टर को मिल रही मजबूती, आकाश प्राइम मिसाइल का परीक्षण क्यों अहम?

‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद भारत लगातार अपने एयर डिफेंस को मजबूत करने में जुटा है। ऐसे में भारतीय सेना जल्द ही आकाश प्राइम मिसाइल को अपने बेडे़ में शामिल करने जा रही। ये मिसाइलें चीन के साथ लगने वाले बॉर्डर इलाकों में ऊंची पहाड़ियों पर तैनात की जाएंगी। सेना ने बुधवार को ही लद्दाख में इस नए मिसाइल सिस्टम का दो बार परीक्षण किया। जिसमें आकाश प्राइम मिसाइलों ने 15,000 फीट की ऊंचाई पर दो तेज रफ्तार ड्रोन को टारगेट किया। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इसे भारत की वायु रक्षा क्षमताओं के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर बताया।

भारत ने लद्दाख में 15 हजार फीट की ऊंचाई पर आकाश प्राइम मिसाइल का परीक्षण करके बड़ा संदेश दिया है। नई आकाश प्राइम मिसाइलें पहले की तुलना में ज्यादा पावरफुल हैं और बेहतर प्रदर्शन करने में सक्षम हैं। इसका मुख्य उद्देश्य पाकिस्तान और चीन पर कड़ी नजर रखना है। खास तौर से पहाड़ी सीमाओं या फिर ऊंचे स्थानों पर दुश्मनों के विमानों की घुसपैठ को नाकाम करने में ये मिसाइल सिस्टम अहम रोल निभाएगा। ऊंचाई वाले बॉर्डर एरिया में ऑपरेशन के लिए ये मिसाइल सिस्टम बेहद उपयोगी साबित होगी।

आकाश प्राइम मिसाइल सिस्टम ऊंचाई वाले बॉर्डर एरिया पर नजर रखने के लिए बेहद अहम है। जिससे दुश्मनों की नापाक हरकत को वहीं ध्वस्त कर दिया जाए।

सेना और भारतीय वायु सेना के पास पहले से ही आकाश मिसाइलें हैं। इनका इस्तेमाल ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान की ओर से किए गए ड्रोन हमलों को रोकने के लिए किया गया था। 7 से 10 मई के बीच ऑपरेशन सिंदूर के दौरान इन मिसाइलों का इस्तेमाल हुआ था। आकाश और आकाश प्राइम दोनों ही 25 किलोमीटर की दूरी तक दुश्मन के विमानों, हेलीकॉप्टरों और ड्रोन को मार गिराने में सक्षम हैं। हालांकि, अब आकाश प्राइम को 4,500 मीटर से अधिक ऊंचाई वाले इलाकों के लिए बनाया गया है। इसमें बेहतर ग्राउंड सिस्टम, रडार और रेडियो फ्रीक्वेंसी सिस्टम लगे हैं।

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