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नॉर्थ ईस्ट में रेलवे का विस्तार बदल रहा देश की तस्वीर, पीएम मोदी के विकसित भारत मुहीम का कमाल

पूर्वोत्तर भारत की रेल कनेक्टिविटी में बड़ा बदलाव आ रहा है। 1962 में सरायघाट पुल से शुरू हुई यह यात्रा अब मिजोरम की राजधानी आइजॉल तक पहुंच चुकी है। रेल लाइनें अब असम, अरुणाचल, त्रिपुरा के बाद मिज़ोरम को भी जोड़ रही हैं। ये प्रोजेक्ट न सिर्फ विकास और पर्यटन को बढ़ावा देंगे, बल्कि देश की सुरक्षा और रणनीतिक ताकत को भी मजबूत करेंगे। कठिन भौगोलिक हालात और तकनीकी चुनौतियों के बावजूद पूर्वोत्तर को देश से जोड़ने की यह ऐतिहासिक कोशिश तेज़ी से आगे बढ़ रही है।

सैरांग, जो आइजोल से करीब 20 किलोमीटर दूर एक छोटा शहर है, अब इस लाइन के माध्यम से राजधानी से जुड़ेगा।इस रेलवे कनेक्टिविटी का महत्व सिर्फ स्थानीय विकास ही नहीं, बल्कि सामरिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसे सिलिगुड़ी कॉरिडोर या “चिकन नेक” के नाम से जाना जाता है, जो भारत की सुरक्षा और कनेक्टिविटी के लिहाज से अहम क्षेत्र है। पूर्वोत्तर के इस हिस्से को रेलवे के माध्यम से जोड़ना क्षेत्र के सामाजिक-आर्थिक विकास में क्रांति लेकर आएगा।

पूर्वोत्तर भारत में एक राजधानी को दूसरी राजधानी से जोड़ने वाली रेल कनेक्टिविटी अब तेजी से बढ़ रही है। इससे न केवल व्यापार और कारोबार को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि उस इलाके में छिपे हुए पर्यटन के अवसर भी खुलेंगे। यह कहना गलत नहीं होगा कि इन रेलमार्गों से भारत के रणनीतिक रूप से अहम पूर्वोत्तर क्षेत्र को और मजबूती मिलेगी।

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