गृहमंत्री अमित शाह ने आज राज्यसभा में वंदे मातरम् पर चर्चा की शुरुआत की। अमित शाह ने इस दौरान कई बार कहा कि पंडित जवाहरलाल नेहरू ने वंदे मातरम् के दो टुकड़े कर दिए। अगर इतिहास में वंदे मातरम् के 2 टुकड़े नहीं होते तो भारत का विभाजन कभी नहीं होता। गृहमंत्री ने आगे कहा कि इस सदन के पटल पर यह रिकॉर्ड दर्ज होना चाहिए कि कांग्रेस वंदे मातरम् का विरोध करती है। अमित शाह ने आगे कहा कि वंदे मातरम् का 150वां साल है। हम थोड़ा पीछे मुड़कर देखते हैं। जब वंदे मातरम् के 50 साल हुए। तब देश आजाद नहीं था। वंदे मातरम् की स्वर्ण जयंती हुई 1937 में तब जवाहरलाल नेहरू ने वंदे मातरम् के दो टुकड़े करके उसे दो धड़ों तक सीमित करने का काम किया।
अमित शाह ने कहा, “जिस गान को गांधी ने राष्ट्र की शुद्धतम आत्मा से जुड़ा गीत कहा, वो वंदे मातरम् का टुकड़ा करने का काम कांग्रेस ने किया। वंदे मातरम् ने आजादी के आंदोलन को गति दी। श्यामजी कृष्ण वर्मा, मैडम भीखाजी कामा और वीर सावरकर ने भारत का त्रिवर्ण ध्वज निर्मित किया था, उस पर भी स्वर्णिम अक्षर में एक ही नाम लिखा था- वंदे मातरम्. भारतीय जनता पार्टी का एक भी सदस्य वंदे मातरम् गान के समय सम्मान के साथ खड़ा न हो ऐसा हो ही नहीं सकता।”
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने विपक्ष पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि मैं कल देख रहा था कि कांग्रेस के कई सदस्य वंदे मातरम की चर्चा को राजनीतिक हथकंडा या मुद्दों से ध्यान भटकाने का हथियार मान रहे थे। अमित शाह ने कहा कि हम मुद्दों पर चर्चा करने से नहीं डरते और संसद का बहिष्कार हम नहीं करते। अगर संसद चलने दी जाए तो सभी मुद्दों पर चर्चा होगी और हमारे पास छिपाने को कुछ नहीं है।
अमित शाह ने आगे कहा कि जब वंदे मातरम के 100 साल पूरे होने पर देश जश्न मनाता, तब देश को आपातकाल में डाल दिया गया। अमित शाह की इस टिप्पणी पर कांग्रेस ने तीखी प्रतिक्रिया दी और सदन में हंगामा हुआ। गृहमंत्री अमित शाह ने कहा, “गुलामी के कालखंड में वंदे मातरम् गीत ने घनघोर अंधेरे के बीच लोगों के मन में आजादी के खिलाफ लड़ने का जोश जगाया। जब वंदे मातरम 100 साल का हुआ, पूरे देश को बंदी बना दिया गया। जब 150 साल पर कल सदन में चर्चा शुरू हुई, गांधी परिवार के सदस्य नदारद थे। वंदे मातरम का विरोध नेहरू से लेकर आज तक कांग्रेस नेतृत्व के खून में है। कांग्रेस पार्टी की एक नेत्री ने लोकसभा में कहा कि वंदे मातरम पर अभी चर्चा की कोई जरूरत नहीं है।”
