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जो स्थान वंदे मातरम को मिलना चाहिए था, वैसा सम्मान नहीं मिला… बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कांग्रेस पर जोरदार निशाना साधा

संसद के शीतकालीन सत्र के 9वें दिन भी वंदे मातरम पर बहस हुई। बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने इसपर जवाब दिया। उन्होंने कहा कि हमारा उद्देश्य भारत के पूर्व पीएम को बदनाम करना नहीं, लेकिन इतिहास को रिकॉर्ड पर रखना जरूरी है। जेपी नड्डा ने कहा कि जब कोई घटना घटती है तो जिम्मेदार सरदार ही होता है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी की सरकार के सरदार नेहरू ही थे, इसलिए जिम्मेदारी भी लेनी चाहिए। आप अपनी सुविधा के हिसाब से श्रेय लेते हैं, लेकिन आपको जिम्मेदारी भी लेनी होगी।

जेपी नड्डा ने वंदे मातरम के अपमान पर कहा कि जो सम्मान और जो स्थान वंदे मातरम को मिलना चाहिए था, वो सम्मान नहीं मिला और उस समय के देश के शासक इसके लिए जिम्मेदार थे। हंगामे के बीच नड्डा ने कहा कि मेरे सीधेपन का इतना नाजायज फायदा न उठाइए।

जेपी नड्डा ने कहा, “मैं राष्ट्र गान की पूरी इज्जत करता हूं। उसके सम्मान में जीवन को समर्पित करता हूं। लेकिन जानना चाहता हूं कि संविधान सभा में कितनी देर नेशनल एंथेम पर चर्चा हुई? नेशनल फ्लैग पर कमेटी बिठाई गई थी। लेकिन जब नेशनल एंथम की बारी आई तो आपने क्या किया? 24 जनवरी 1950 को कोई डिबेट नहीं हुई और न ही डिस्कशन किया गया था। लगभग दो महीने के बाद संविधान सभा की अंतिम बैठक हुई। उसमें बिना किसी चर्चा और बिना किसी नोटिस के एक वक्तव्य पढ़ दिया गया, जिसमें भारत के राष्ट्रगान का निर्णय सुना दिया गया। संविधानसभा में भारत के नेशनल एंथम के लिए जो हुआ और वंदे मातरम के लिए जो उपेक्षा का भाव रहा, उसके लिए पूरी तरह जवाहर लाल नेहरू जिम्मेदार थे।”

जेपी नड्डा ने आगे कहा कि कांग्रेस ने हमेशा हर चीज को कबूल किया और कंप्रोमाइज किया है और वक्फ भी इसी का हिस्सा है। उन्होंने कहा, “1936 में बॉम्बे प्रेसिडेंसी का विभाजन कर दिया क्योंकि मुस्लिम लीग ने इसकी मांग की थी। बाकी लोग नहीं चाहते थे कि ये बंटे। 1947 में मुस्लिम लीग ने वंदे मारतम का विरोध किया। कांग्रेस ने इसे अपने रेजोल्यूशन में कबूल कर लिया। जिन्ना ने दो देश की बात कही, 1947 ने कांग्रेस ने भारत को खंडित आजादी दिलाई। उस समय सिंध की डिमांड मुस्लिम लीग ने की थी। जबकि हमारे सिंधी, गुजराती, मराठी, पारसी, क्रिश्चय कम्यूनिटी चाहती थी कि ये विभाजन न हो। मुस्लिम लीग ने वंदे मातरम का विरोध किया था तो कांग्रेस उसे दो स्टेंजा पर ले आई थी।”

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