गऊ रक्षा के लिए कानून बनने की मांग लगातार देश में उठ रही है।
आज देश में लगतार बेजुबान जांवारो के साथ ऐसी शर्मनाक घटनाएं लागतार घाट रही है जिसे देखकर ऐसा लगने लगा है कि इस कलयुग में अब मनुष्य नहीं अब राक्षसों का निवास होने लगा है। आज मानवता पूरी तरह से खत्म होते दिख रही है । केरल के पलक्कड़ में हुए गाभिन हथिनी के साथ हुए घोर अन्याय के बाद हिमाचल प्रदेश के अंदर बिलासपुर में भी हुए गऊ माता के साथ भी हुए ऐसे ही हादसे ने मानवता शब्द को खत्म ही कर दिया है । आखिर इन बेजुबान जानवारो का क्या दोष है जो इनके साथ ऐसे लगातार दिन प्रतिदिन अमानवीय घटना लगातार घटती जा रही है । आखिर मनुष्य इस हद तक नीचे कैसे गिर सकता है । इसकी कभी कल्पना भी नहीं की जा सकती थी । आखिर क्यों अपराधी ऐसी घटनाओं को करने में एक बार क्यू नहीं हिचकिचाते है अब ये सवाल लागतार उठने लगे है देश में ।एक तरफ प्रकृति में वैसे ही इस महामारी को लेकर एक भय सा माहौल बना हुआ है । दूसरी तरफ कुछ हैवानों द्वारा मानवता नाम के शब्द को ही खत्म कर दिया जा रहा है । अगर देखा जाए तो पूर्व में गायो की लगभग 125 प्रजातियां थी लेकिन आज वह घटकर मात्र 28 ही प्रजातियां रह गई है । अगर आकड़ो के हिसाब से देखा जाए तो आज भी पूरे विश्व में सबसे ज्यादा दुग्ध देने वाली गाय का रिकार्ड तो उसमे सबसे ज्यादा भारतीय मूल गायो के नाम है । उसके बावजूद भी यहां गैर-लाइसेंसी बूचड़खानों में अवैध गौहत्या होती है।पाकिस्तान के एक प्रतिनिधिमंडल के अनुसार पाकिस्तान में कटने वाले 70 फीसदी पशुओं की तस्करी भारत से ही होती हैं। अब ये सवाल उठता है। कि इसके बाद भी गऊ माता के न्याय के लिए कोई भी ऐसे कठोर न्याय नियम नहीं बनाए गए है जिससे गऊ हत्या पर लगाम लगाया जा सके ।