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क्यों PETA धर्म देखकर जानवरों की रक्षा की बात करता है ?

PETA-People for the Ethical Treatment of Animals

जानवरों की सुरक्षा और रख रखाव के लिए काम करने वाली गैर सरकारी संस्थान (NGO)PETA दुनिया भर में जानवरों के प्रति योगदान के लिए जानी जाती है।

PETA जानवरों की सुरक्षा से लेकर उनके स्वास्थ्य और जानवरों से जुड़े अपराध को रोकने में अग्रणी संस्थान के रूप में काम करती है।

जानवरों की सुरक्षा करते-करते कई बार यह गैर सरकारी संस्थान PETA, धर्म को देखते हुए अपने कार्य को अंजाम देती है।

PETA की भारतीय शाखा ने ऐसे कई उदाहरण पेश किए हैं जिन से साफ झलकता है की उन्हें सिर्फ हिन्दू धर्म को केंद्रित कर के ही जानवरों की रक्षा का ख्याल आता हैं।

किन-किन मौकों पर PETA ने किया हिन्दू धर्म का अपमान

हालिया घटना की बात करें तो पेटा इंडिया ने राखी के त्यौहार को केंद्रित करते हुए देश के कई शहरों में बड़े-बड़े पोस्टर्स लगा कर राखी के पर्व को बदनाम करने की साजिश की है। जी हाँ अगर ऐसा नही होता तो इस तरह की घटना बार-बार हिन्दू समाज को ही केंद्रित कर के नही होती।

अहमदाबाद, चंडीगढ़, भोपाल, पटना, जयपुर, कानपुर और पुणे जैसे बड़े शहरों में गाय के तस्वीरों वाले पोस्टर लगा कर ये लिखा गया था कि “इस रक्षाबंधन, मेरी रक्षा करो और चमड़ा-मुक्त्त बनो”।

अपने इस विज्ञापन में ये बताने की कोशिश की गई है कि, हिन्दू धर्म मे राखी के पर्व में गाय के चमड़े का प्रयोग होता है। हिन्दू धर्म को ना मानने वाला भी ये जरूर जानता होगा कि राखी में किसी चमड़े का इस्तेमाल ना कभी हुआ है और ना ही कभी होगा।

दूसरे उदाहरण में PETA ने भारत के मीट बाजार को चीन के वुहान चमगादड़ बाजार से तुलना करते हुए कोरोना जैसी महामारी फैलने की आशंका के साथ जोड़ा है। वहीं PETA कभी चीन को यही बातें समझाते हुए नही दिखा।

तीसरा उदारहण 2018 का है जब PETA ने जन्माष्ठमी के पर्व को शाकाहारी घी के साथ मनाने की बात कही थी ताकि गाय की रक्षा हो सके।

सभी जानते है कि जन्माष्ठमी श्री कृष्ण भगवान के लिए मनाई जाती है उन्हें गायो से कितना प्यार था।

इस तरह के बेतुका बातों के साथ, हिन्दू धर्म के त्यौहारों को बदनाम करने से पहले PETA एक बार भी नही सोचता। वहीं 2018 में बक़रीद पर गली-मोहल्ले पर दी जाने वाली लाखों बकरे की बली को मात्र शिकायत करने की एक खाना-पूर्ति कर के छोड़ दिया गया। साथ ही बाद में मुस्लिम समाज के दवाब के बाद पीछे हटना पड़ा था।

PETA धर्म

रक्षाबंधन से पहले 1 अगस्त को बकरीद है। लेकिन PETA द्वारा कोई भी पोस्टर नहीं लगाया गया और रक्षाबंधन के लिए हर शहर में पोस्टर लगा दिए गए। जब लोगों ने सवाल पूछे तो पेटा इंडिया अपने 2018 की इसी शिकायत की दुहाई देने लगा।

क्या PETA को है हिन्दू धर्म से परेशानी ?

जहां एक तरफ हिंदू धर्म को बदनाम करने के लिए बेतुक़ी बातों का सहारा लिया जाता है तो वहीं दूसरे धर्म के मामलों में असली मुद्दों पर पैर पीछे खींच लिया जाता है।

इस तरह से यही लगता है कि PETA को हिन्दू धर्म के त्यौहारों से ख़ासी नाराजगी हैं। तभी तो बिना सोचे समझे कोई भी बेतुके प्रचार कर दिए जाते हैं।

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