द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान, अंग्रेज़ों के खिलाफ लड़ने के लिए, Netaji Subhash Chandra Bose ने जापान के सहयोग से आज़ाद हिन्द फ़ौज का गठन किया था। 1943 में गठित हुई आजाद हिंद फौज हिंदुस्तान की पहली सरकार थी ।इस सरकार के गठन के 75 साल पूरे होने पर लाल किले पर तिरंगा फहरा कर आजाद हिंद सरकार को नमन भी किया गया था।
इन तथ्यों को भुलाते जा रहे हिंदुस्तान के समाज को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पराक्रम दिवस के मौके पर संबोधित किया और नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती पर उस स्वर्णिम इतिहास की याद दिलाते हुए इतिहास की विरासत को देश के सुपुर्द कर दिया। दरअसल अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के 21 द्वीपों का नामकरण परमवीर चक्र विजेताओं के नाम से किया गया है।
इसी मौके के उपलक्ष्य में पीएम मोदी ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस को याद करते हुए अंडमान द्वीप पर बने उस स्मारक का भी जिक्र किया जो नेता जी के अंडमान द्वीप पर बिताए समय की याद दिलाता है। उन्होंने याद दिलायाकि वह अंडमान द्वीप की ही धरती थी जहां पहली बार तिरंगा आसमान में आजादी से लहराया गया था। चाहे वह कर्तव्य पथ पर नेता जी की मूर्ति हो या फिर 2019 में लोकार्पित किया गया नेताजी का लाल किले में म्यूजियम, पीएम मोदी ने इसे शौर्य को सिद्ध करने वाले पराक्रमी वीरों के प्रति इसे देश का कर्तव्य बताया।
जहां 21 परमवीर चक्र विजेताओं के नाम पर 21 द्वीपों का नामकरण हुआ , वहीं दूसरी ओर कारगिल युद्ध में अपना शोर्य दिखाने वाले कैप्टन विक्रम बत्रा के नाम पर भी एक पहाड़ी को समर्पित किया गया । पर्यटन का जिक्र करते हुए उन्होंने 2014 के मुकाबले 2022 में द्वीप में दोगुना पर्यटन का जिक्र किया।
वहीं उन्होंने कहा कि जहां पहले लोग अंडमान द्वीप पर समुद्री आकर्षण से आते थे वही अब इतिहास की विरासत को समझने के लिए लोग यहां आते हैं।
पुरानी सरकारों पर आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा अंडमान द्वीपको दूर, दुर्गम और प्रासंगिक क्षेत्र मानते हुए इनके विकास पर ध्यान नहीं दिया गया । वही अपनी सरकार का काम गिनाते हुए अंडमान द्वीप पर सबमरीन ऑप्टिकल फाइबर से तेज़ इंटरनेट पहुंचाना और डिजिटल पेमेंट का जिक्र करते हुए उन्होंने अंडमान द्वीप को दुनिया के लिए एक उम्मीद बताया ।