21 अप्रैल 2023 को CJI डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने तमिलनाडु पुलिस द्वारा ऑपइंडिया की चीफ एडिटर नूपुर जे शर्मा और सीईओ राहुल रौशन के खिलाफ दर्ज की गई प्राथमिकी में 4 सप्ताह की सुरक्षा प्रदान की। सुप्रीम कोर्ट की खंडपीठ ने कहा कि वे प्राथमिकी को रद्द नहीं कर सकते, क्योंकि यह उच्च न्यायालय का अधिकार क्षेत्र है। लेकिन याचिकाकर्ता को तमिलनाडु पुलिस द्वारा किसी भी कठोर कार्रवाई से बचाया जाएगा।
नूपुर जे शर्मा और राहुल रौशन का प्रतिनिधित्व श्री महेश जेठमलानी और रवि शर्मा ने किया। धारा 32 के तहत प्राथमिकी को रद्द करने के उनके अनुरोध को CJI चंद्रचूड़ ने अस्वीकार कर दिया। CJI ने तब याचिकाकर्ताओं को धारा 482 के तहत मद्रास उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने को कहा।
In the FIR filed against Rahul Roushan (CEO) of OpIndia and me (EIC) by Tamil Nadu police, Justice Chandrachud granted 4 weeks of protection from arrest to us, giving us time to approach Madras HC for quashing the FIR. We will follow due process and ensure this malicious…
— Nupur J Sharma (@UnSubtleDesi) April 21, 2023
जस्टिस चंद्रचूड़ ने एफआईआर रद्द करने के मामले की सुनवाई के अनुरोध को खारिज करते हुए कहा कि कानून के तहत यह उचित नहीं होगा कि सुप्रीम कोर्ट सीधे एफआईआर को रद्द कर दे, हालांकि वह याचिकाकर्ता की रक्षा करेंगे।
इससे पहले अप्रैल में, तमिलनाडु पुलिस ने नूपुर जे शर्मा और राहुल रोशन के खिलाफ ऑपइंडिया की एक रिपोर्ट के लिए प्राथमिकी दर्ज की थी, जिसमें दैनिक भास्कर द्वारा तमिलनाडु में बिहारी प्रवासी श्रमिकों पर हमले के आरोपों को कवर किया गया था। ऑपइंडिया की रिपोर्ट में भास्कर के आरोप, बिहार के मुख्यमंत्री (नीतीश कुमार) का बयान और तमिलनाडु पुलिस का बयान शामिल है।