कर्नाटक चुनाव में उडुपी और मंगल्रुरु से SDPI ने अपने उम्मीदवारों का नाम वापस लेकर कांग्रेस को समर्थन देने का ऐलान किया है, जिसके बाद राष्ट्रीय महासचिव बीएल संतोष ने कांग्रेस पर करार हमला किया है. बीएल संतोष का कहना है की SPDI का कांग्रेस को समर्थन देना नया नहीं है लेकिन ये कांग्रेस की हिन्दुओं के प्रति घृणा को दर्शाता है.
बीजेपी राष्ट्रीय महासचिव बीएल संतोष ने उडुपी और बंगलुरु से SDPI के नामांकन की खबर वाले एक कन्नड़ अखबार का लेख शेयर करते हुए ट्विटर पर लिखा की ‘SDPI कांग्रेस के समर्थन में उडुपी और मंगलुरु में मैदान से हट गया है, इसमें एसडीपीआई के बारे में कुछ नया नहीं है। यह सिर्फ कांग्रेस की हिंदू घृणा प्रकृति को उजागर करता है जिससे हमें अवगत होने की आवश्यकता है’
SDPI withdraws from fray in Udupi & Mangaluru in support of @INCKarnataka . Nothing special about SDPI in this . It just exposes the Hindu hate nature of Congress which we need to be aware off . #BJPYeBharavase pic.twitter.com/B6zosDEWZf
— B L Santhosh (@blsanthosh) May 8, 2023
आपको बता दें की जनवरी में ही SDPI ने कर्नाटक विधानसभा चुनाव में उडुपी, बंगलुरु और अन्य 100 सीटों से चुनाव लड़ेगी लेकिन अब SDPI ने कांग्रेस को समर्थन देते हुए उडुपी और बंगलुरु से अपने उम्मीदवारों के नाम वापस ले लिए हैं.
कांग्रेस के लिए चिंता का विषय है SDPI
एसडीपीआई इस बार 100 सीटों पर उम्मीदवार उतारकर बड़े पैमाने पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराने की योजना बना रही थी। स्थानीय निकायों में इसकी उपस्थिति के साथ (इसमें मंगलुरु महानगर पालिका में दो सदस्य, शिवमोग्गा महानगर पालिका और बीबीएमपी में एक-एक सदस्य हैं, इसके अलावा मदिकेरी, उल्लाल चामराजनगर, बंटवाल, कौपू और शाहपुर की नगर पालिका परिषदों में सदस्य हैं), ऐसे में कांग्रेस और जेडीएस दोनों को SDPI से थोड़ी चिंता होनी तो स्वाभाविक है, ऐसे में कांग्रेस का SDPI को साथ लेना कोई बड़ी बात नहीं है.
कर्नाटक में ऐसी 65 सीटें हैं, जहां मुस्लिम मतदाता 20% से अधिक हैं और लगभग 45 सीटें हैं जहां अल्पसंख्यक वोट 10% से 20% हैं। 2018 में लगभग 50 सीटों पर 5,000 वोटों से कम हार जीत का अंतर था। ओबीसी श्रेणी में मुस्लिम समुदाय के लिए 4% कोटा खत्म करना और राजनीतिक रूप से दो सबसे शक्तिशाली समुदायों – लिंगायत और वोक्कालिगा – के लिए इसे बढ़ाना आगामी कर्नाटक विधानसभा चुनावों में प्रमुख मुद्दों में से एक होना तय माना जा रहा है। इसलिए कांग्रेस SDPI को साथ लेकर अपना टार्गेटेड वोट बैंक बनाये रखना चाहती है.