प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी शनिवार को अपनी दो दिवसीय यात्रा पर मिस्र पहुंच गए। मिस्र के प्रधानमंत्री मुस्तफा कमाल मदबूली ने उनका काहिरा एयरपोर्ट पर गले लगाकर का स्वागत किया। प्रधानमंत्री मोदी के आगमन पर उनका औपचारिक स्वागत किया गया और ‘गार्ड ऑफ ऑनर’ दिया गया।
2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद ये पहला मौका है सब मोदी जी मिस्र का दौरा कर रहे हैं। और 1997 के बाद से किसी भी भारतीय प्रधानमंत्री की यह पहली यात्रा है।
हाल ही में 74वें गणतंत्र दिवस के मौके पर मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतेह अल-सीसी को मुख्य अतिथि के रूप में भारत आमंत्रित किया गया था। यह पहली बार था जब मिस्र के किसी राष्ट्रपति को यह सम्मान दिया गया।
आपको बता दें कि पीएम मोदी के इस दौरे पर सबकी नजर इसीलिए भी है क्योंकि अभी जम्मू कश्मीर में आयोजित जी-20 सम्मेलन में चीन, तुर्की, सऊदी अरब के अलावा मिस्त्र ने भी इस में भाग नहीं लिया था।
मोदी की यात्रा को द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के रूप में देखा जा रहा है। इस यात्रा के दौरान यह भी पता चल सकता है कि आने वाले दिनों देशों में संबंध कैसे आगे बढ़ सकते हैं।
पीएम मोदी का ये दौरा भारत के रक्षा क्षेत्र के लिए बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है। भारत अपनी पहचान एक हथियार मैन्युफेक्चरिंग देश के तौर पर तैयार करने के लिए काम कर रहा है। इसलिए भारत चाहता है कि मिस्त्र उनसे सैनी हत्यार खरीदें । वहीं ब्रह्मोस मिसाइल को खरीदने में भी मिस्र ने दिलचस्पी दिखाई है। मिस्र चाहता है कि वह भारत से इन मिसाइलों को खरीदे साथ ही दोनों राज्यों के बीच सैन्य अभ्यास को बढ़ावा देने की भी बातचीत हो सकती है।
कोविड की महामारी और रूस-यूक्रेन की जंग के बीच मिस्र की आर्थिक स्थिति पर बुरा असर पड़ा हैं , युद्ध के कारण रूस और यूक्रेन से मिस्र में होने वाली 80 फीसदी तक फूड सप्लाई बुरी तरह प्रभावित हुई। जिसके बाद मिस्र अपनी आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाने की कोशिश में जुटा हुआ है इसलिए मिस्र भारत को करीब लाने की कोशिश में जुटा हुआ है।