वैगनर ग्रुप चीफ येवगेनी प्रिगोझिन और रूस के बीच शनिवार रात को आखिर समझौता हो ही गया। रूस को नया राष्ट्रपति देने की बात कहने वाले येवगेनी ने महज 12 घंटे में ही ऐसी पलटी मारी कि वो समझौते की टेबल पर आ गए। इस समझौते में मेन रोल बेलारूस के राष्ट्रपति अलेक्जेंडर लुकाशेंको का रहा। उन्होंने वैगनर ग्रुप के चीफ येवगेनी प्रिगोझिन के साथ रूस का समझौता कराया, जिसके तहत प्रिगोझिन ने अपने सैनिकों को पीछे होने का आदेश दिया है।
पुतिन ने येवगेनी के खिलाफ ऐसी सख्ती दिखाई कि वह अब रूस नहीं बेलारूस चले जाएंगे। इसके बाद येवगेनी प्रिगोझिन ने शनिवार देर रात अचानक घोषणा की कि उनका हिंसक, विद्रोह का प्रयास समाप्त हो गया है। येवगेनी प्रिगोझिन ने एक आधिकारिक टेलीग्राम चैनल के जरिए बयान जारी करते हुए कहा, ‘खून-खराबा हो सकता था इसीलिए, एक पक्ष ने जिम्मेदारी को समझा ताकि इसे रोका जा सके।
उन्होंने आगे कहा कि हम अपने काफिले को वापस कर रहे हैं और योजना के अनुसार फील्ड शिविरों में वापस जा रहे हैं।’ बयान के कुछ घंटों के भीतर, रोस्तोव शहर में वैगनर के भाड़े के सैनिकों को उनके ट्रकों में चढ़ते और शहर से बाहर निकलते हुए देखा गया। यहां लोगों ने वैगनर सैनिकों के साथ सेल्फी ली और उनके जयकारे लगाए।
इस विद्रोह को खत्म करने में पुतिन के दोस्त और बेलारूसी राष्ट्रपति अलेक्जेंडर लुकाशेंको ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। एक मध्यस्तता की भूमिका अदा करते हुए लुकाशेंको ने रूस और येवगेनी के बीच डील कराई जिसके बाद उन्होंने अपने सैनिकों को वापस लौटने को कहा।
लुकाशेंको के दफ्तर से जारी बयान के मुताबिक, इस बातचीत के दौरान लगातार पुतिन से से भी कॉर्डिनेशन किया गया जिसके बाद डील पर सहमति बन सकी है और येवगेनी पीछे हटने को तैयार हो गए। येवगेनी अब बेलारूस में रहेंगे, क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव का कहना है कि निजी रूसी सैन्य कंपनी वैगनर के प्रमुख विद्रोही तनाव को कम करने के समझौते के तहत पड़ोसी देश बेलारूस चले जाएंगे और उनके खिलाफ आपराधिक मामला बंद कर दिया जाएगा।
क्रेमलिन ने साफ किया है कि येवगेनी प्रिगोझिन के खिलाफ विद्रोह के मामले में आरोप वापस लिए जाएंगे और उनके साथ शामिल होने वाले सैनिकों पर भी केस नहीं चलाया जाएगा। येवगेनी खुद बेलारूस चले जाएंगे।
इसके अलावा जिन लड़ाकों ने विद्रोह में हिस्सा लिया था उन पर मुकदमा नहीं चलाया जाएगा बल्कि इसकी बजाय उन्हें रूसी सेना में शामिल होने के लिए अग्रीमेंट पर हस्ताक्षर करने का मौका दिया जाएगा। पुतिन दो दशक से अधिक समय से सत्ता में हैं। संकट को कम करने के लिए सरकार ने समझौते को स्वीकार कर लिया है।
दरअसल पुतिन ने येवगेनी की कमजोर नस पकड़ ली थी। येवगेनी को रोस्तोव शहर से जिस तरह का समर्थन मिला उससे उनका मनोबल और पुतिन की टेंशन बढ़ गई. वैगनर आगे बढ़ने लगे। लेकिन तब तक पुतिन ने राष्ट्र के नाम जो संबोधन दिया वो नागरिकों से भावुक अपील थी और येवगेनी को चेतावनी भी।
पुतिन ने कहा कि येवगेनी ने विश्वासघात किया है, और हमारे पीठ में छुरा घोंपा है. पुतिन ने अपना संवाद सीधा रूस की जनता से किया और कहा कि ऐसे लोगों को जवाब देने के लिए एकजुट हो जाएं।
ये तो उनके अपील का भावनात्मक पक्ष था। इसके साथ उन्होंने सख्त रुख भी दिखाया। पुतिन ने कहा कि विद्रोह करने वालों के इरादे जैसे भी हों, लेकिन हम, रूस की सेना उन्हें कुचल कर रख देगी। इसके अलावा पुतिन ने मॉस्को में आतंकवाद विरोधी प्रावधानों को लागू कर किया और टैंकों को सड़क पर उतार दिया। पुतिन ने येवगेनी से टकराव की हर तैयारी पूरी कर ली।
येवगेनी को रोस्तोव में सपोर्ट तो मिला, लेकिन जब उनके लड़ाके आगे बढ़े तो ये सपोर्ट कम होता गया। इसके अलावा पुतिन ने येवगेनी को मिल रहे आर्थिक मदद पर भी नकेल कसने की तैयारी कर ली।
पुतिन के सपोर्ट में बेलारूस जैसे देश भी आ गए। इधर रूस ने ये प्रचारित करना शुरू कर दिया कि येवगेनी ये सारा काम पश्चिमी शक्तियों के इशारे पर कर रहे हैं। ऐसा करते हुए उन्होंने कथित तौर पर रूसी जनता के सामने येवगेनी को नीचा दिखाने की कोशिश की।
इसके अलावा येवगेनी इस वक्त रूस की विशाल सेना से आमने-सामने के टकराव से भी बचना चाह रहे थे। इसलिए जो येवगेनी रूस को नया राष्ट्रपति देने की बात कर रहे थे वे बातचीत की टेबल पर आने को मजबूर हो गए और उन्हें न सिर्फ पुतिन की ओर से मध्यस्थ बनाकर भेजे गए बेलारूस के राष्ट्रपति के साथ समझौता कर पीछे हटना पड़ा बल्कि उन्हें फिलहाल के लिए बेलारूस भी शिफ्ट होना पड़ा है।