प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कल मधयप्रदेश में अपने संबोधन में नागरिक संहिता की पुरजोर तरह से वकालत की है। यूसीसी पर दिए पीएम मोदी के बयान के बाद देश की सियासत में उबाल आ गया है। कांग्रेस समेत कई विपक्षी दल पीएम मोदी पर हमला बोल रहे हैं। विपक्षी दल कांग्रेस और उसकी सहयोगी डीएमके ने जोरदार सवाल उठाए हैं। तमिलनाडु की सत्तारूढ़ पार्टी ने तर्क दिया था कि पहले हिंदुओं के लिए एक समान संहिता लागू की जानी चाहिए, जिसके बाद उन्हें सभी जातियों के लोगों को मंदिरों में प्रार्थना करने की अनुमति देनी होगी। वहीं आरजेडी और तृणमूल कांग्रेस भी यूसीसी के मुद्दे पर सरकार को घेरने में लगी है।
पीएम मोदी ने कहा आज यूसीसी के नाम पर लोगों को भड़काया जा रहा है। देश दो कानूनों पर कैसे चल सकता है? संविधान भी समान अधिकारों की बात करता है। सुप्रीम कोर्ट ने भी यूसीसी लागू करने को कहा है। ये विपक्ष लोग बैंक की राजनीति वोट खेल रहे हैं ।
प्रधानमंत्री ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने बार बार कहा है कि ‘कॉमन सिविल कोड’ लाओ, लेकिन वोट बैंक की राजनीति करने वाले इसका विरोध कर रहे हैं। बीजेपी ने तय किया है कि वह तुष्टिकरण और वोटबैंक की राजनीति के बजाए संतुष्टिकरण के रास्ते पर चलेगी।
बताते चलें कि चुनावी सरगर्मियों के बीच यूनिफॉर्म सिविल कोड का मुद्दा सुर्खियों में आ गया है। इस मुद्दे ने विपक्षी दलों की नींद उड़ा दी है। दरअसल इस साल मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, तेलंगाना में विधानसभा चुनाव होने हैं। वहीं 2024 में केंद्र में सत्ता के लिए लोकसभा चुनाव होना है। यूनिफॉर्म सिविल कोड का मुद्दा पार्टी के एजेंडे में सबसे ऊपर है। पिछले 9 साल से केंद्र में बीजेपी की अगुवाई में सरकार चल रही है। ऐसे में बीजेपी समान नागरिक संहिता के मुद्दे पर देश के लोगों का मन टटोल रही है। उधर कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों को डर है कि अगर ये मुद्दा जनता को पसंद आ गया तो 2024 में बीजेपी की राह काफी आसान हो जाएगी। ऐसे में विपक्षी दलों ने यूसीसी के खिलाफ देश में माहौल बनाना शुरू कर दिया है।