देश में अब समान नागरिक संहिता (UCC) पर बहस होने लगी है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इसका जिक्र किया है। पीएम मोदी ने भोपाल में एक जनसभा के दौरान कहा कि यूसीसी का विरोध कैसे कर रहे हैं, यह देश दो कानूनों पर थोड़ी चलेगा। वहीं आम आदमी पार्टी ने यूसीसी का सैद्धांतिक रूप से समर्थन किया है। हालांकि अभी भी कई विपक्षी दल इसका विरोध कर रहे हैं। वहीं प्रदीप भंडारी ने विरोध करने वालों को करारा जवाब दिया है।
प्रदीप भंडारी ने ट्वीट करते हुए लिखा, “UCC का समय आ गया है! जो पार्टियाँ सैद्धांतिक रूप से इसका विरोध कर रही हैं वे सच्ची धर्मनिरपेक्षता और लैंगिक समानता (Gender Equality) के ख़िलाफ़ हैं। यह एक तथ्य है कि संविधान सभा, जिसमें मुख्य रूप से कांग्रेस पार्टी का वर्चस्व था, उसने सभी धर्मों के लिए समान नागरिक संहिता बनाने की की मंशा व्यक्त की थी। तुष्टिकरण ने इसे पिछले 70 वर्षों में इसे लागू करने से रोका। लेकिन 1955-1956 के दौरान और डॉ. मनमोहन सिंह के कार्यकाल के दौरान हिंदुओं के व्यक्तिगत कानूनों में संशोधन के लिए विधायी हस्तक्षेप करने में कोई संकोच नहीं हुआ।”
प्रदीप भंडारी ने आगे लिखा, “वास्तव में तुष्टिकरण चरम पर तब था जब राजीव गांधी की बहुमत सरकार ने अपनी विधायी शक्ति का दुरुपयोग किया और भारतीय संसद ने गरीबों के खिलाफ कानून बनाया। शाह बानो फैसले को पलटकर राजीव गांधी सरकार ने एक मुस्लिम महिला को उसके पति द्वारा प्रति माह ₹500 की मामूली राशि देने से इनकार कर दिया, जो कमाऊ थे। ऐसा नहीं है कि अतीत में पर्सनल लॉ के मामलों में विधायी हस्तक्षेप नहीं हुआ है। जब दिवंगत अरुण जेटली कानून मंत्री थे और अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार थी तब ईसाई पुरुष और महिला के बीच भेदभाव को समाप्त करने के लिए भारतीय तलाक अधिनियम में संशोधन किया था। इसपर चर्चा के बाद चर्च ने संशोधन का समर्थन भी किया था।”
प्रदीप भंडारी ने लिखा, “अनुच्छेद 13 में यह भी कहा गया है कि व्यक्तिगत कानूनों सहित सभी कानून समानता और सम्मानजनक जीवन के मौलिक अधिकार का अनुपालन करेंगे। भारत एक ऐसा देश है जो शरीयत से नहीं बल्कि संविधान से चलता है और कोई भी पर्सनल लॉ महिलाओं को समानता और सम्मानजनक जीवन के अधिकार से वंचित नहीं कर सकता। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संविधान की भावना को लागू कर रहे हैं जो कांग्रेस को पिछले 70 वर्षों में करना चाहिए था, लेकिन तुष्टिकरण और वोट बैंक की राजनीति के कारण नहीं कर पाई।”