सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यीय बेंच ने 2002 के गुजरात दंगों से जुड़े मामलों में सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ को अंतरिम राहत दे दी है। जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच ने गुजरात हाई कोर्ट के तत्काल सरेंडर करने के आदेश पर रोक लगा दिया है।
सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि तीस्ता को सरेंडर करना चाहिए। उनकी याचिका को विशेष तरजीह क्यों मिलनी चाहिए। तीस्ता भी एक सामान्य व्यक्ति हैं, उनको विशेष तरजीह क्यों मिलना चाहिए। तब जस्टिस गवई ने कहा कि एक सामान्य अपराधी को भी अंतरिम रिलीज का अधिकार है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाई कोर्ट का तत्काल सरेंडर करने का आदेश गलत है। कोर्ट ने कहा कि जो व्यक्ति सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर 10 महीने से बेल पर हो, उसे तत्काल सरेंडर करने का आदेश देने की वजह समझ में नहीं आती है।
कल शाम को दो सदस्यीय बेंच ने तीस्ता सीतलवाड़ को फिलहाल कोई भी राहत देने से इनकार कर दिया था। दो जजों की बेंच के सदस्यों की राय अलग-अलग थी। उसके बाद कोर्ट ने इस मामले को बड़ी बेंच को भेजने का आदेश दिया था। जिसके बाद तीन सदस्यीय बेंच रात में दोबारा बैठी।
वहीं शाम साढ़े छह बजे इस मामले पर जस्टिस एएस ओका और जस्टिस पीके मिश्रा की विशेष अवकाशकालीन बेंच सुनवाई के लिए बैठी। तीस्ता सीतलवाड़ को अंतरिम सुरक्षा देने के मामले पर दोनों जजों की अलग-अलग राय थी। तब कोर्ट ने कहा कि इसे चीफ जस्टिस को भेजा जाए जो तीन जजों की बेंच के समक्ष लिस्ट करेंगे।
दरअसल शनिवार को गुजरात हाई कोर्ट ने तीस्ता सीतलवाड़ की जमानत याचिका खारिज कर दी थी। गुजरात हाई कोर्ट ने तीस्ता को तुरंत सरेंडर करने का आदेश दिया था। हाईकोर्ट के इस आदेश के बाद तीस्ता सीतलवाड़ की ओर से सुप्रीम कोर्ट में आज ही याचिका दायर की गई थी, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट की विशेष बेंच सुनवाई के लिए बैठी थी।
आपको बता दें कि 2 सितंबर 2002 के गुजरात दंगों के लिए तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी को फंसाने की साजिश रचने और झूठे सबूत गढ़ने के मामले में तीस्ता सीतलवाड़ को अंतरिम जमानत दी थी, जिसके बाद तीस्ता को न्यायिक हिरासत से रिहा कर दिया गया था। उसके बाद से तीस्ता को गिरफ्तारी से सुरक्षा मिली हुई थी। तीस्ता को 2002 के गुजरात दंगे के मामले में फर्जी दस्तावेज के जरिये फंसाने के मामले में 26 जून 2022 को गिरफ्तार किया गया था।