पहले बिहार और फिर महाराष्ट्र की तर्ज पर भाजपा यूपी में भी विपक्षी एकता को झटका देने के प्रयास में है। पूरब में ओपी राजभर के NDA में की चर्चाएं हैं, मगर असल खेल पश्चिम में चल रहा है। भगवा खेमे की चाह है कि 2024 के रण में राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) का साथ बीजेपी को मिले। इसके लिए अंदरखाने होमवर्क भी शुरू हो चुका है। यह अलग बात है कि जयंत चौधरी ऐसे चर्चाओं को फिलहाल विराम लगाने में जुटे हैं।
समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा कि हमारा लक्ष्य एक है और इससे ध्यान भटकाया नहीं जा सकता है। वह तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर से मिलने पहुंचे थे। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र की घटना भाजपा की कमजोरी का परिचायक है। पर, लखनऊ में सुहेल देव भारतीय समाज पार्टी ओपी राजभर ने जो बयान जारी किया है, उससे सपा में तनाव जरूर व्यपाप्त हो सकता है। राजभर ने कहा कि महाराष्ट्र जैसी स्थिति तो यूपी में भी हो सकती है।
बिहार के पूर्व सीएम जीतनराम मांझी ने दावा किया है कि जेडीयू में भी टूट होगी। बिहार भाजपा के कुछ नेताओं ने भी ऐसा बयान जारी किया है। वहां पर उपेंद्र कुशवाहा पहले ही नीतीश का साथ छोड़ चुके हैं। चर्चा है कि पूर्व केंद्रीय मंत्री राम विलास पासवान के बेटे चिराग पासवान को मोदी मंत्रिमंडल में शामिल किया जा सकता है।
कर्नाटक में कांग्रेस पर जेडीएस नेता एचडी कुमारस्वामी ने तंज कसा है। कुमार स्वामी ने कहा कि कहीं यहां पर भी कोई ‘खेला’ न हो जाए और कोई यहां पर भी अजित पवार बन सकता है। वहीं एक तरफ पश्चिम बंगाल में टीएमसी नेत सौगाता रॉय ने कहा कि यहां पर विपक्षी दलों की एकता के प्रयास का कोई असर नहीं पड़ेगा। रॉय ने कहा कि टीएमसी अकेले ही यहां पर भाजपा को हराने के लिए काफी है।
वहीं दूसरी तरफ बात आंध्र प्रदेश की करें तो ऐसा दिखता है कि वहां की सारी पार्टियां में बीजेपी के साथ गठबंधन करने की होड़ लगी है। चाहे वो जगनमोहन रेड्डी की पार्टी हो या चंद्रबाबू नायडू की पार्टी या फिर पवन कल्याण की पार्टी। जो खबरें आ रही है उसके यह पता लगता है कि वहां हर पार्टी 2024 के चुनाव में बीजेपी के साथ गठबंधन के लिए तैयार बैठी है। इसका सबसे बड़ा कारण है लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता।