देश ने आजादी के 76 वर्ष पूरे कर लिए हैं। आज पूरा देश 77वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है। स्वतंत्रता दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 10वीं बार लाल किले की प्राचीर से राष्ट्र ध्वजारोहण किया। पीएम ने देश के नाम अपने संबोधन में न सिर्फ अपनी और देश की उपलब्धियां गिनाई, बल्कि उन्होंने देशवासियों से ये भी कहा कि “आज बदलते हुए विश्व को आकार देने में आज 140 करोड़ देशवासियों का सामर्थ्य नजर आ रहा है। आप निर्णायक मोड़ में खड़े हैं।”
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि राष्ट्रीय चेतना एक ऐसा शब्द है, जो चिंताओं से मुक्त कर रहा है। आज वह राष्ट्रीय चेतना सिद्ध कर रही है। जन-जन में हमारा विश्वास, जन-जन का सरकार पर, देश के प्रति विश्वास है। यह विश्वास हमारी नीतियों, हमारी रीति का है। मेरे परिवारजनों, यह बात निश्चित है कि भारत का सामर्थ्य विश्वास की नई बुलंदियों को पार करने वाली है। आज देश में जी-20 समिट की मेहमानवाजी का अवसर मिला है। हिंदुस्तान के हर कोने में जी-20 के कई कार्यक्रम हुए हैं। उसने देश की विविधिता का दुनिया को परिचय कराया है।
अब गेंद हमारे पाले में है
पीएम ने अपने संबोधन में कहा “कोरोना काल में भारत ने जिस प्रकार देश को आगे बढ़ाया, दुनिया ने हमारे सामर्थ्य को देखा। जब दुनिया की सप्लाई चेन तहस-नहस हो गई, तब हमने कहा था कि विश्व का विकास देखना है तो मानव केंद्रित होना चाहिए। तब जाकर सही समाधान निकालेंगे। आज जो भारत ने कमाया है, वह दुनिया में स्थिरता की गारंटी लेकर आया है। अब न हमारे मन में, न 140 करोड़ लोगों के मन में और न दुनिया के मन में कोई किंतु-परंतु है। अब गेंद हमारे पाले में है, हमें अवसर नहीं जाने देना है, मौका नहीं छोड़ना चाहिए। मेरे देशवासियों में समस्याओं की जड़ों को समझने का सामर्थ्य है। इसलिए 2014 में देशवासियों ने 30 साल के अनुभव के बाद तय किया कि देश को आगे ले जाना है तो मजबूत, स्थिर और पूर्ण बहुमत वाली सरकार चाहिए।
140 करोड़ लोगों का सामर्थ्य नजर आ रहा है
पीएम मोदी ने कहा कि भारत का एक्सपोर्ट तेजी से बढ़ रहा है। दुनिया की रेटिंग एजेंसियां भारत का गौरव गान कर रही हैं। मैं विश्वास से देख रहा हूं कि जिस प्रकार से द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद दुनिया ने नई वैश्विक व्यवस्था देखी थी, मैं साफ-साफ देख रहा हूं कि कोरोना के बाद नई वैश्विक व्यवस्था बहुत तेजी से आगे बढ़ रही है। उसकी सारी व्याख्याएं बदल रही हैं। आप गौरव करेंगे, बदलते हुए विश्व को आकार देने में आज 140 करोड़ देशवासियों का सामर्थ्य नजर आ रहा है। आप निर्णायक मोड़ में खड़े हैं।