नई दिल्ली में होने जा रही G-20 समिट से कुछ ही दिन पहले चीन ने सोमवार को आधिकारिक तौर पर अपने नए नक्शे को जारी किया। इस नक्शे में अरुणाचल प्रदेश, अक्साई चिन इलाके, ताइवान और विवादित दक्षिण चीन सागर को कम्युनिस्ट देश का हिस्सा दिखाया गया है। इस नक्शे के जरिए चीन इन इलाकों पर अपना दावा कर रहा है। जबकि भारत ने बार-बार कहा है कि अरुणाचल प्रदेश उसका अभिन्न अंग है और हमेशा रहेगा। चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर चीन के 2023 के मानक मानचित्र को शेयर किया है।
ग्लोबल टाइम्स ने कहा कि चीन के प्राकृतिक संसाधन मंत्रालय के स्वामित्व वाली “मानक मानचित्र” सेवा की वेबसाइट पर इसे जारी किया गया। जिसका दावा है कि यह नक्शा चीन और दुनिया के विभिन्न देशों की राष्ट्रीय सीमाओं की रेखांकन विधि के आधार पर बनाया गया है। जोहान्सबर्ग में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी नेता शी जिनपिंग के एक-दूसरे के साथ बैठक करने के एक हफ्ते से भी कम समय के अंदर ही बीजिंग ने ‘मानक मानचित्र’ के नाम पर नया मैप लॉन्च किया। जिसमें गलत तरीके से भारत के कुछ हिस्सों को चीनी क्षेत्रों के रूप में दिखाया गया है।
The 2023 edition of China's standard map was officially released on Monday and launched on the website of the standard map service hosted by the Ministry of Natural Resources. This map is compiled based on the drawing method of national boundaries of China and various countries… pic.twitter.com/bmtriz2Yqe
— Global Times (@globaltimesnews) August 28, 2023
G-20 से पहले चीन की चाल
नई दिल्ली में G-20 शिखर सम्मेलन में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की संभावित भारत यात्रा से ठीक पहले इस मैप को जारी किया गया है। इसमें चीन के सीमा दावों के लिए दुनिया भर में मशहूर 9- डैश लाइन को फिर से बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया गया है। 9-डैश लाइन को 1940 के दशक में एक चीनी भूगोलवेत्ता ने मैप पर खींचा था। यह यू-आकार की रेखा है जो दक्षिण चीन सागर के 90 प्रतिशत हिस्से पर दावा करती है, जिसे फिलीपींस उत्तरी फिलीपींस सागर कहता है। चीन का यह कदम अंतरराष्ट्रीय कानूनों, विशेष रूप से समुद्र के कानूनों पर संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन (UNCLOS) के खिलाफ है।