भारत के सेमीकंडक्टर उद्योग का परिदृश्य एक महत्वपूर्ण परिवर्तन के शिखर पर है, जो इस क्षेत्र में रोजगार के अवसरों में तेजी से वृद्धि का वादा करता है। भारत के लिए प्रस्तावित कई सेमीकंडक्टर निर्माण इकाइयों और अनुसंधान और विकास केंद्रों के साथ-साथ पहले से ही आवंटित किए गए केंद्रों के साथ, देश में अगले पांच वर्षों में कम से कम एक लाख सेमीकंडक्टर डिजाइन इंजीनियरों की उल्लेखनीय आमद देखने का अनुमान है।
उदाहरण के लिए, माइक्रोन ने सैन्संड में स्थानीय शैक्षणिक संस्थानों के आसपास अपनी भर्ती पहल पहले ही शुरू कर दी है, जहां वह एक सेमीकंडक्टर निर्माण सुविधा स्थापित करने की योजना बना रही है। एनालिटिक्स इंडिया मैगज़ीन की रिपोर्ट है कि तीस से अधिक छात्रों को पहले ही माइक्रोन से प्रस्ताव मिल चुके हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि साल के अंत तक अकेले गुजरात से करीब 150 इंजीनियरिंग स्नातकों को नौकरी पर रखा जाएगा।
बताते चलें कि माइक्रोन से लेकर टाटा समूह तक कई प्रमुख खिलाड़ी सेमीकंडक्टर निर्माण इकाइयों के साथ-साथ अनुसंधान एवं विकास केंद्र भी स्थापित कर रहे हैं। इससे भारी संख्या में नौकरियाँ पैदा होंगी। विशेषज्ञों का मानना है कि अगले 5 वर्षों में भारत में 1 लाख से अधिक सेमीकंडक्टर डिज़ाइन इंजीनियर बनेंगे।
साणंद में माइक्रोन का उद्यम 22,500 करोड़ रुपए के अनुमानित निवेश द्वारा समर्थित एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर दर्शाता है। कंपनी साणंद जीआईडीसी में भारत की सबसे व्यापक असेंबली, टेस्टिंग, मार्किंग और पैकेजिंग सुविधाओं में से एक स्थापित करने के लिए तैयार है, जो 5,000 व्यक्तियों के लिए प्रत्यक्ष रोजगार के अवसर और अप्रत्यक्ष रूप से अतिरिक्त 15,000 पेशेवरों को रोजगार के अवसर प्रदान करेगी।