उद्योग जगत के नेताओं ने की कहा कि आयकर अधिनियम में लघु और सूक्ष्म उद्योगों के लिए भुगतान अवधि से संबंधित नियमों में संशोधन ने कपड़ा व्यापार को गंभीर रूप से प्रभावित किया है। बताते चलें कि उनका दावा है कि जनवरी में पीक सीज़न के दौरान कारोबार औसतन 150 करोड़ रुपये प्रतिदिन से 50% कम हो गया।
दक्षिणी गुजरात चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ने विभिन्न कपड़ा संघों के साथ बैठक के बाद इस मुद्दे पर चिंता जताते हुए केंद्रीय वित्त मंत्री को पत्र लिखा। नए नियमों के मुताबिक अगर किसी लघु और सूक्ष्म इकाई को 45 दिन के भीतर भुगतान नहीं किया गया तो रकम खरीदार का मुनाफा माना जाएगा।
भ्रम और भय के कारण व्यापार में अचानक गिरावट आई है। फेडरेशन ऑफ सूरत टेक्सटाइल ट्रेडर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष कैलाश हकीम ने कहा है कि भुगतान नियमों के डर के कारण कोई खरीदारी नहीं होने से कारोबार लगभग 50% कम हो गया है।
उद्योग के अंदरूनी सूत्रों का दावा है कि अधिकांश उद्योग मध्यम या बड़े आकार के हैं और वे नियम के दायरे में नहीं आते हैं। हालांकि व्यापारियों में डर का असर कारोबार पर पड़ रहा है।