केंद्र की मोदी सरकार ने एनसीईआरटी की किताबों में इतिहास से जुड़े कुछ मूल बदलाव किए हैं। इन्हीं को लेकर आजतक ने केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान से खास बातचीत की और किताबों में किए गए बदलावों पर विस्तृत चर्चा की। विपक्षी नेताओं द्वारा आरोप लगाया जा रहा है कि केंद्र सरकार हिंदू मुस्लिम पॉलिटिक्स करने के लिए और अपनी हिंदू विचारधारा को आगे ले जाने के लिए अभी तक किताबों में पढ़ाया गया ‘अकबर द ग्रेट’ जैसे चैप्टर्स में बदलाव किया गया है। इस पर शिक्षा मंत्री ने कहा कि एक परिवार और एक समूह ने अपनी सुविधानुसार चीजों को दिखाने का षडयंत्र रचा। इसकी शुरुआत सबसे पहले लॉर्ड मेकॉले से हुई।
धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि भारत को लंबे समय तक अपनी गुलामी में रखने के लिए उन्होंने 1835 में ब्रिटिश पार्लियामेंट में कहा कि भारत को अगर लंबे समय तक गुलामी में रखना है तो भारत की शिक्षा प्रणाली को तहस नहस करना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि भारत के इतिहास को भुलाना पड़ेगा। इतिहास दर्पण होता है भविष्य का रास्ता निकालने के लिए। एनसीईआरटी ने इस बार राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत नई किताब पब्लिकेशन में जो बदलाव किया है, उसमें बताएं कि कौन सा विषय है जो ऐतिहासिक तथ्य से परे है।
शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा, “क्या इस देश में हम लोगों को सिर्फ एक एंगल से दिखना चाहिए? भारत में अनेक सुरवीर हैं। क्या सुहेल देव जी (राजा) के बारे में भारत की शिक्षा प्रणाली में पढ़ाया जाता था? क्या बालक बाजी राउत की शहादत के बारे में पढ़ाया जाता था? क्या गुरुपुत्र दोनों साहबजादे के बारे में भारत की शिक्षा में पढ़ाया जाता था? ये कोई दृष्टिकोण है? ये कोई दृष्टिकोण नहीं ये तो भारतीयता ही है। जिन लोगों ने अभी तक भारत की शिक्षा प्रणाली को जंजीरों में जकड़ के रखा था, अभी हमको सौभाग्य मिल रहा है उसको अनुमंडल करने के लिए। हम रेखा सीमित नहीं करते हैं। हम बड़ी लकीर खीचते हैं, रेखा को बड़ा बनाते है। ये बीजेपी संघ की विचारधारा नहीं ये देश का इतिहास है। वो कह रहे हैं की आपका सोर्स क्या है हम बड़ी लकीर खीचते हैं रेखा को बड़ा बनाते है।”