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तीन राज्यों के चुनाव परिणाम पर ”जन की बात” सीईओ प्रदीप भंडारी ने की चर्चा,कांग्रेस नेता शमा मोहम्मद को दिया मुहतोड़ जबाब

जेकेबी डेस्क-तीन मार्च को राजनीती की गलियारों में खास दिन था। इस दिन त्रिपुरा समेत तीन राज्यों में पिछले महीने हुए चुनाव का परिणाम आया। चुनाव पर चर्चा के लिए ”जन की बात सीईओ” प्रदीप भंडारी कई चैनल शो में शामिल हुए। उन्होंने NEWSX के शो ”फैसला 2018-जान की बात- NEWS X एग्जिट पोल हुआ सच साबित” में शामिल हुए। इसी शो में ”जन की बात” सीईओ प्रदीप भंडारी ने कांग्रेस की नेता शमा मोहम्मद को मुहतोड़ जबाब दिया और उनकी बोलती बंद कर दी। पेश है कुछ अंश

एंकर-NEWSX और जन की बात का एग्जिट पोल सही साबित हुआ है। आपको क्या लगता है की बीजेपी का कौन-सा फैक्टर काम किया तीनो राज्यों में?
प्रदीप भंडारी-एक एक करके तीनो राज्यों की बात करता हूँ जिससे समझने में आसानी होगी। त्रिपुरा में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बन कर सामने आई है। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी खुद कई बार त्रिपुरा का दौरा किया,जिससे ये साबित हुआ त्रिपुरा कितना खास है। नरेंद्र मोदी के त्रिपुरा जाने से लोगों के बिच का डर खत्म हो गया,जिसका सीधा फायदा बीजेपी को हुआ। प्रधान मंत्री के दौरा करने से युवाओं ने बीजेपी की तरफ अपना रुख किया तो वहीं दूसरी तरफ इतनी रैली की के लेफ्ट वोटर बीजेपी के साथ चले आए। वहीं कई जगह से तो मतदाताओं ने हमें भी फ़ोन कर के बताते रहे की क्यों और किधर जा रहे है। बात की जाए मेघालय की तो वहां बीजेपी ने बिल्कुल एक योजना के तहत काम किया है। मेघालय का परिणाम देख कर बिल्कुल भी चिंतित नहीं हूँ। वहीं नागालैंड की बात की जाए प्रधान मंत्री ने यहाँ भी रैली की है। NPF सबसे बड़ी पार्टी बन कर उभरी है। प्रधानमंत्री ने कई रैली यहाँ की है और केंद्र सरकार ने नागालैंड को 10 हज़ार करोड़ का पैकेज भी दिया है,इसलिए इसका प्रभाव तो लाज़मी था। परिणाम आने के बाद ये साफ़ हो गया है की बीजेपी त्रिपुरा में अपने दम पर सरकार बना रही है तो वहीं दूसरी तरफ नागालैंड और मेघालय में गठबंधन करके सरकार बना सकती है।

एंकर-कांग्रेस समय के साथ साथ सिकुड़ती चली गई ,क्या कारण लगता है?
प्रदीप भंडारी-कांग्रेस ये सोचती है की दिल्ली में बैठ कर चुनाव जीत सकते है लेकिन ऐसा नहीं होता है। आप मुझे बताइये की कांग्रेस का कोई भी वरिष्ठ नेता 2 साल नार्थ ईस्ट में गुज़ारा हो। कांग्रेस और बीजेपी में कोशिश की कमी नज़र आता है। बीजेपी ज़मीन पर घूमना और मतदाताओं तक पहुंचने का सोचती है लेकिन कांग्रेस ऐसा नहीं सोचती। कोई भी चुनाव दफ्तर में बैठ कर नहीं जीता जाता है। चुनाव के लिए मैदान में उतरना होगा। ज़मीन पर अपने कार्यकर्ताओं को जोड़ना होगा। 24 घंटा अपना समय देना होगा। त्रिपुरा में TMC की बात करे तो कई TMC कार्यकर्त्ता बीजेपी में शामिल हो गए। सुदीप राय बरमन की बात करे तो उनकी पकड़ वेस्ट अगरतला में सबसे ज्यादा है वो TMC से बीजेपी में शामिल हो गए।

एंकर-त्रिपुरा के विकास और शिक्षा के स्तर पर सवाल किया।
प्रदीप भंडारी-मैं आपको एक और हकीकत बताता हूँ। त्रिपुरा में लगभग लोग सरकारी आकड़ों के हिसाब से शिक्षित है लेकिन 30 फीसदी लोग भी ग्रेजुएशन नहीं कर पाए है। खासकर खोवाई जिले की बात की जाए तो वो सीपीआईएम का गढ़ माना जाता है लेकिन वहां भी सीपीआईएम मुकाबले में नहीं दिखी। आप देखिए की बीजेपी की तरफ से कर्नाटका में अभी से चुनाव प्रचार शुरू हो गया है।बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह और प्रधानमंत्री नरेंद्र कई रैली कर भी चुके है। ये ही फर्क है बीजेपी और दूसरी राजनितिक दलों में। बीजेपी जिस तरह काम कर रही है उसे ही कहते है माइक्रो प्रोजेक्ट।

NEWSX के दूसरे शो जिसके एंकर ऋषव गुलाठी थे। इस शो में कांग्रेस के नेता समेत कई अन्य लोग भी शमिल हुए थे। इस शो में ”जन की बात” सीईओ प्रदीप भंडारी खास मेहमान के रूप में शामिल हुए।

एंकर-हमारे साथ प्रदीप भंडारी जो एक खास मेहमान है और ये और इनकी टीम ने एग्जिट पोल जारी किया था जो बिल्कुल सटिक था। प्रदीप आप और आप की टीम ने ज़मीन पर क्या पल्स देखा था। बीजेपी बोल रही है की ये नतीजा बीजेपी के योजना की है,सही सरकार चलाने की है।
प्रदीप भंडारी-ये कोई पहली बार नहीं है की जान की बात ने सटीक एग्जिट पोल जारी किया हो। इससे पहले भी हम लोगों ने सातवीं बार सही एग्जिट पोल दिया है। हम लोगों ने 35 दिन पुरे राज्य में घुमा और मैं खुद 52 विधान सभा छेत्र में गया हूं।मैंने देखा की पहली बार त्रिपुरा की जनता मौजूदा सरकार में काबिज़ सीपीआईएम के खिलाफ है। कांग्रेस तो कोई लड़ाई में थी ही नहीं। बीजेपी ने सुनील देब धर को प्रभारी बनाया था जो हमेशा छेत्र में मौजूद होते थे। राम माधव और हेमंतो बिश्वास ने भी खूब मेहनत की है। त्रिपुरा में बेरोज़गारी बहुत है,गरीबी बहुत है,बांस और रब्बर के दाम किसान को नहीं मिल पाते हैं। यहां कार्यकर्त्ता और मतदाता में पकड़ का भी खूब असर पड़ा है।कांग्रेस कभी मतदाता से अपनी पकड़ बना ही नहीं पाई है। दूसरी चीज़ की इस चुनाव में मोदी फैक्टर ने खूब काम किया है।नरेंद्र मोदी ने त्रिपुरा में चार रैली की है।मोदी की रैली में 1.5 लाख से ज्यादा लोग शामिल हुए थे>इससे अंदाज़ा लगाया जा सकता है की मोदी इफेक्ट कितना है। त्रिपुरा के एक विधान सभा के औसतन जनसंख्या 38 हज़ार के आसपास है लेकिन इतने लोग का रैली में शामिल होना सोचने की बात है।
इस चुनाव में champ रणनीति ने भी काम किया है>
c-cadre mobilization
h-hindu mobilization
a-aggressive campaign
m-modi इफ़ेक्ट
p-power consolidation
एंकर-त्रिपुरा में आप थे।आप ने वहां क्या देखा और क्या कांग्रेस की हालत थी ज़मीन पर। खासकर क्या वजह रही की मतदाता सीपीआईएम और कांग्रेस के खिलाफ गई।
प्रदीप भंडारी-त्रिपुरा के लोगों को आज भी कई सुविधाएं नहीं मिल पा रही है। उनको मनरेगा भत्ता नहीं मिल रहा है। किसानों को फसल का सही दाम नहीं मिल पा रहा है। बेरोज़गारी सबसे ज्यादा है। दूसरी बात की कांग्रेस पार्टी कार्यकर्त्ता के बल पर चुनाव जितना चाहती है लेकिन ऐसा नहीं होता। चुनाव जीतने के लिए चेहरे की भी जरुरत पड़ती है>जिस तरफ इतिहास में पहली बार प्रधानमंत्री त्रिपुरा में रैली की उस तरह कांग्रेस को भी करना चाहिए। इस पर कांग्रेस की नेता शमा मोहम्मद ने सवाल उठाया की प्रदीप भंडारी बीजेपी से आते है या एग्जिट पोल निकालते है। मिस्टर भंडारी नहीं बता सकते की कांग्रेस किस तरह जीतेगी। इस पर पलटवार करते हुए प्रदीप भंडारी ने कहा की आप मुझ पर ये आरोप नहीं लगा सकती।आप इस तरह किसी को नहीं बोल सकती।

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