गोरखपुर में भाजपा को सपा-बसपा समर्थित प्रत्याशी से मिली हार की वजहों पर बात करने के लिए pradip bhandari पहुँच रिपब्लिक टीवी पर जहाँ उन्होंने अर्नब गोस्वामी से बातचीत में गोरखपुर-फूलपुर नतीजों पर चर्चा की,गोरखपुर में लोकसभा सीट पर हुए उप-चुनावों के दौरान सभा पार्टियों की सांसे थमी हुई थी क्योकि गोरखपुर को बीजेपी का गढ़ माना जाता है।
गोरखपुर से योगी आदित्यनाथ हर बार लाखों वोटों के फासले से जीत हासिल करते थे लेकिन इस बार नतीजे थोड़े से अलग थे। गोरखपुर की लोकसभा सीट के नतीजों ने सभी को चौंका दिया है।
इन्ही नतीजों पर चर्चा करने के लिए जन की बात के सीईओ प्रदीप भंडारी को रिपब्लिक चैनल ने अर्णब गोस्वामी के शो में आंमत्रित किया। चर्चा की शुरूआत में ही प्रदीप भंडारी ने साफ-साफ कहा कि 2019 के चुनावों को बीजेपी ये समझ ले कि ये मोदी बनाम बाकि सारी पार्टियों का होगा। कांग्रेस को इतनी अहमियत देते-देते बीजेपी बाकि पार्टियों के बारे में भूल गई है।
सभी को उम्मीदें थी कि गोरखपुर में लोकसभा सीट को भाजपा ले लिए जीतना इतना मुश्किल नही होगा लेकिन समाजवादी पार्टी ने बीजेपी को कड़ी टक्कर देते हुए नतीजों का रूख ही बदल दिया। जिसका इसका पूरा श्रेय समाजवादी पार्टी को मिलना चाहिए और ये मैं एक तटस्थ देखने वाले की नज़र से कह रहा हूॅं। हालांकि भाजपा के प्रवक्ताओं में भी इतनी विनम्रता होनी चाहिए कि वो समाजवादी पार्टी को इस बात का श्रेय दें कि उन्होने उन्हें उनके ही गढ़ में हरा कर दिखाया है।
भारतीय जनता पार्टी को समझना होगा कि अगर 2019 में समाजवादी पार्टी, बसपा के साथ गठबंधन करती है तो भाजपा को जीतने के लिए बहुत मेहनत करनी होगी। 1 महीने पहले तक कोई भी सपा और बसपा को विपक्ष में गिनने को तैयार नही था लेकिन आज गोरखपुर में हार के बाद ऐसा होना मुमकिन हो गया है।
गोरखपुर में करारी हार के बाद भाजपा को इसे एक संकेत की तरह लेना चाहिए क्योकि अगर भाजपा गढ़ में हार गयी है तो उनकी मुश्किलें बढ़ सकती है। दरअसल, भाजपा को ये पता लगाना होगा कि आखिर ऐसा क्यों हुआ? कौन सी गलतियाॅं भाजपा ने इन चुनावों में की है? उनसे कहाँ क्या कमियाॅं रह गई थी जो सपा-बसपा समर्थित प्रत्याशी उन्हें हराने में सफल रहे?
गोरखपुर-फूलपुर में भाजपा की हार की क्या थी वजह एवं कैसी होगी भाजपा के लिए 2019 की राह? : जानिए प्रदीप भंडारी ने रिपब्लिक टीवी पर क्या कहा?
भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता संबित पात्रा के साथ इसी बहस के दौरान प्रदीप भंडारी ने उन्हें नसीहत देते हुए कहा कि, ‘‘दो चीजें जो भाजपा को समझनी है वो ये कि कांग्रेस अब कोई खासी चिंताजनक विपक्ष रही नही है, लेकिन आपका सामना होगा हर छोटी पार्टी से जिनके पास देश में फैलने लायक ताकत नही होगी लेकिन उनके पास मजबूत क्षेत्रीय उम्मीदवार होंगे।
जिनका सामना अंत में भाजपा से होगा। अब जैसे फुलपुर को ही ले लीजिये… क्यों भाजपा ने टिकट किसी बाहरी उम्मीदवार को दिया? बनारस के महापौर को गोरखपुर का टिकट देना साफ दर्शाता है कि कमियाॅं रह गई थी, कहीं ना कहीं कमी रह गई थी क्योकि भाजपा हमेशा क्षेत्र के लोगो को ही टिकेट देती है। योगी आदित्यनाथ की सीट को इतनी आसानी से किसी बाहर वाले को दे दिया गया था। ये बात बहुत खलने वाली है और इस बात से शायद संबित जी आप भी हामी भरेंगे।
लालू प्रसाद यादव जेल से ही अपना वोट बैंक बढ़ा रहें है और यही देखने को 2019 में मिलेगा भी कि ये सब छोटी छोटी पार्टियों आपस में मिलकर महागठबंधन बनाती नज़र आऐंगी। सरकार बनने के सिर्फ एक साल में प्रदेश के मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री का अपनी-अपनी सीट हार जाना कई दिशाओं में सकेंत दे रहा है। ये दर्शाता है कि कही ना कही भाजपा ने अपनी तैयारी में कमी छोड़ दी थी।
गोरखपुर-फूलपुर में भाजपा की हार की क्या थी वजह एवं कैसी होगी भाजपा के लिए 2019 की राह? : जानिए प्रदीप भंडारी ने रिपब्लिक टीवी पर क्या कहा?
अभी डिबेट अपने चरम पड़ाव पर ही थी कि सीपीआईएम के जनरल सेके्रटरी सुनीत चोपड़ा ने हमारे सीईओ से कहा कि आप कौन है? और किसका प्रतिनिधत्व करते हैं?
इस पर प्रदीप भंडारी कुछ जवाब दे पाते उससे पहले ही रिपब्लिक के अर्नब गोस्वामी ने कहा, ‘‘आप प्रदीप भंडारी से पूछ रहे हैं कि वो कौन है? वो देश के नंबर एक पोलस्टर हैं और उन्होने त्रिपुरा में आपकी करारी हार को भी पहले ही भांप कर अपने ओपिनियन और एग्ज़िट पोल में दर्शा दिया था।‘‘
भाजपा के एक समर्थक की बात का जवाब देते हुए प्रदीप भंडारी ने कहा कि 2014 के चुनावों से पहले कांग्रेस एक बड़ी विपक्षी पार्टी थी लेकिन 2014 के बाद से कांग्रेस बहुत सारी विपक्षी पार्टियों के बीच का हिस्सा बन गई है इसलिए भाजपा को कांग्रेस की उतनी चिंता करनी बंद करते हुए क्षेत्रीय पार्टियों पर ध्यान देना चाहिए।
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