‘‘अभी तो ली अंगड़ाई है, आगे और लड़ाई है‘‘ ‘‘हम अपना अधिकार मांगते, नही किसी से भीख मांगते‘‘ ‘‘संघर्ष करेंगे जीतेंगे, इस बार नही हम छोड़ेंगे‘‘ कुछ इसी तरह के नारों से करीब दो घंटे तक दिल्ली यूर्निवर्सिटी का नाॅर्थ कैमपस गूंजता रहा। दरअसल, आॅर्ट फेक्लटी के सामने एसएससी स्कैम को लेकर एसएससी छात्र-छात्राओं ने धरना-प्रर्दशन किया और अपने नारों के जरिए एसएससी के हाइकमान अफसरों तक अपनी बात पहुॅंचाने की कोशिश की। एसएससी छात्र-छात्राओं का ये धरना-प्रर्दशन दरअसल बीतें दिनों हुए एसएससी स्कैम को लेकर किया जा रहा था जिसका जायजा जन की बात टीम लेने पहुॅंची।
जन की बात टीम ने जब प्रर्दशन कर रहे छात्र-छात्राओं से बातचीत की तो जाना कि वे सभी अपनी कुछ मांगों के साथ 21 मार्च को हल्ला बोल कार्यक्रम करने जा रहे है जिसमें देशभर का युवा उनके साथ जुड़ेगा और एसएससी स्कैम के चलते हुई नाइंसाफी के लिए इंसाफ की आवाज लगाएगा। गौरतलब है कि एसएससी स्कैम के विरोध में छात्र-छात्राओं द्वारा किए जा रहे इस धरना-प्रर्दशन मे उनकी मांग कि इस पूरे स्कैम की सीबीआई जांच कराई जाए क्योकि इस स्कैम के चलते सीजीएल परीक्षा को देने वाले देशभर के करीब 1 लाख 89 हजार 843 युवाओं का भविष्य बीच में ही लटक गया है। 9,372 रिक्तियों पर भर्ती के लिए होने वाली ये परीक्षा दरअसल कई चरणों में होती है ताकि कोई भी परिक्षार्थी किसी को भी अपना प्रश्न या उत्तर ना बता सकें लेकिन 21 तारीख को होने वाली इस परीक्षा को पहले ही पेपर लीक होने के चलते रद्द कर दिया गया था।
बता दें कि प्रर्दशन कर रहें इन छात्र-छात्राओं की मांग सिर्फ सीबीआई जांच नही है, प्रर्दशनकर्ताओं के मुताबिक हर साल कम हो रही एसएससी की सीटों की संख्या बढ़ाई जाए ताकि देश का युवाओं दर-ब-दर भटकता हुआ ना नज़र आए। एसएससी द्वारा सराकरी नौकरी के लिए देशभर का युवा अपना जोर आज़माता है लेकिन कुछ लोग थोड़े से पैसों के लालच में देश और योग्य आवेदकों के साथ छल करते है इसलिए प्रर्दशनकर्ताओं की ये भी मांग है कमीशन से की वो ऐसे लोगो को ढूंढे और उन्हे पुलिस के हवाले करें। इसी के साथ इन छात्र-छात्राओं की ये मांग है कि एसएससी परीक्षाओं की फीस को कम करके एसएससी को सभी के लिए सुलभ बनाया जाए और परीक्षाओं के रद्द होने पर उस परीक्षा का शुल्क वापिस किया जाए। इन्ही सब मांगो के साथ धरना-प्रर्दशन कर रहे एसएससी छात्र-छात्राओं ने जन की बात को बताया कि जबतक उनकी ये सभा मांगे स्वीकार नही कर ली जाती है वे अपना ये धरना-प्रर्दशन करना बंद नही करेंगे।