देश भर में इस वक्त लॉक डाउन चल रहा है और लॉकडाउन के बीच ही जन की बात की टीम और फाउंडर एंड सीईओ प्रदीप भंडारी लगातार आपको जमीनी हकीकत से रूबरू करा रहे हैं। देश के दूरदराज गांव से जा कर के आप तक की खबर पहुंचा रहे हैं कि लॉक डाउन के दौरान स्थिति कैसी है। क्या-क्या कार्य शुरू हो चुके हैं? कहां-कहां दिक्कतें आ रही हैं? और क्या उसका समाधान है? इसी दौरान जन की बात के फाउंडर एंड सीईओ प्रदीप भंडारी पहुंचे बागपत में ईंट के भट्टे पर जहां पर उन्होंने जाना कि ईंट के भट्टों की क्या स्थिति है। वहां पर काम कैसा चल रहा है।
भट्ठे चलना शुरू
आपको बता दें कि भट्टे के मैनेजर से प्रदीप भंडारी ने बात की। मैनेजर ने कहा कि वह भट्ठों को सैनिटाइज करा रहे हैं। मजदूरों के बीच सोशल डिस्टेंसिंग भी मेंटेन की जा रही है। साथ ही प्रतिदिन ₹500 के आसपास दिहाड़ी भी दी जा रही है। इसके साथ ही मैनेजर ने कहा कि वह सरकार से चाहते हैं कि सरकार बिना ब्याज के भट्टों को लोन दे ताकि आगे कार्य चलता रहे। आपको बता दें कि सरकार ने 20 लाख करोड़ के पैकेज में बिना ब्याज के छोटे उद्यमियों के लिए लोन की व्यवस्था भी की है।
आपको बता दें इसी दौरान भट्टे पर काम करने वाले मजदूरों से भी जन की बात के फाउंडर एंड सीईओ प्रदीप भंडारी ने बात की। इस दौरान एक मजदूर ने कहा कि उसे ₹500 दिहाड़ी भी मिलती है। साथ ही उसने लॉक डाउन का समर्थन किया और कहा कि जब तक बीमारी रहती है तब तक लॉक डाउन चलता रहना चाहिए।
इस दौरान जन के बाद के फाउंडर एंड सीईओ प्रदीप भंडारी ने कई मजदूरों से अलग जाकर बात की। लेकिन सब ने बताया कि पैसे पूरे मिल रहे हैं और लॉक डाउन का वह समर्थन भी करते हैं।
प्रदीप एनालिसिस
आपको बता दें कि जन की बात के फाउंडर एंड सीईओ प्रदीप भंडारी ने इस रिपोर्ट को करने के बाद अपना एनालिसिस बताया। उन्होंने पाया कि लॉक डाउन के दौरान ईट के भट्टे पूरी सक्रियता से और मानकों को पूरा करते हुए संचालित किए जा रहे हैं। इस दौरान मजदूरों को उनका पूरी दिहाड़ी भी दी जा रही है। भट्टे के मजदूर से लेकर मालिक तक लॉक डाउन का समर्थन कर रहे हैं। जबकि मालिक ने सरकार से आग्रह किया कि बिना ब्याज के उनको लोन दिया जाए ताकि आगे कार्य संचालित हो सके।