देश के किसानों के लिए इस वक्त करोना वायरस से ज्यादा बड़ा मुद्दा टिड्डी दल का हमला बन गया है। पाकिस्तान से आया टिड्डीयों दल का राजस्थान और गुजरात से होते हुए मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और अब उत्तर प्रदेश जा पहुंचा है।
बात करें टिड्डीयों दल के दल की तो पकिस्तान से चला यह दल मुख्य तीन भागों में बट गया है। एक टिड्डी दल लगभग 1.25 किलोमीटर और जब भी आने दो टिड्डी दल 3.5 किलोमीटर के दायरे में उड़ रहे है। पहले दल को झांसी के पास मध्य प्रदेश सीमा पर देखा गया है। जबकि दूसरा दल बीना, मध्य प्रदेश में उत्तर प्रदेश की सीमा की पास और तीसरा दल राजस्थान की राजधानी जयपुर में देखा गया।
टिड्डी दल चेतावनी संस्थान के अनुसार दुनिया में टिड्डीयों की 10 प्रजातियां पाई जाती है। मुख्य तौर पर भारत में इनमें से 4 प्रजातियां ही देखने को मिलती है। जो टिड्डी दल इस बार फसलों पर हमला कर रहा है। वह रेगिस्तानी टिड्डी है। यदि टिड्डी दल के हमले की बात करें। टिड्डी दल का हमला कभी इतनी बड़ी मात्रा में मध्य भारत की तरफ नहीं आया। पर्यावरण विशेषज्ञ के अनुसार टिड्डी दल के हमले के पीछे जलवायु परिवर्तन भी एक मुख्य कारण है।
फसलों को एक ही बार में चौपट कर देता है टिड्डी दल
विशेषज्ञों की मानें तो टिड्डी दल रात में फसलों के ऊपर हमला करता है और सूरज की किरण के साथ ही फसल चट करके दूसरे स्थान के लिये निकल जाता है। टिड्डी दल के अंदर एक वयस्क टिड्डी लगभग 12 से 16 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ सकती है। टिड्डी दल के हमले का फसलों के ऊपर संकट का इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि एक छोटा सा टिड्डी दल 1 दिन में 2500 लोगों के बराबर खाना खा सकता है।
बचाव के उपाय
कृषि विभाग के अनुसार टिड्डी दल को भगाने के लिए किसान टोली बनाकर शोर मचाकर, ध्वनि यंत्र आदि का उपयोग करने के साथ ही टिड्डी दल का हमला होने कीटनाशक आदि का उपयोग करके टिड्डी दल को भगाया जा सकता है।