दुनिया जहाँ एक वायरस की वजह से घरों में रहने को कैद है तो वही एक और वायरस की वजह से अब जानवरों को भी लॉक डाउन में रहना पड़ेगा ।
जहाँ क्रोना महामारी और उसके इलाज ना मिलने से दुनिया पहले ही परेशान है इसी बीच एक ऐसी खबर भी देखने को मिलती है, जहां ऐसे ही एक वायरस की वजह से एक राज्य में 2 महीनो में 15 हजार से ऊपर जानवरों की मौत हो गई है ।
कोविड-19 MERS और SARS परिवार का ही एक एडवांस नया(NOVAL) वायरस है। Covid-19 zoonotic disease है जो जानवर से इंसान में ट्रांसफर हो सकता है।
पिछले 10 सालो में चमगादड़ो में 500 के करीब कोरोना वायरस पाई जा चुकी है । इस वायरस को चीन में चमगादड़ से फैलते हुए विलुप्त हो रहे पैंगोलिन(endangered pangolin) के माध्यम से इंसानो में फैलने के बात कही जा रही है ।
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वायरस जिसने किया जानवरों को लॉक डाउन में कैद
ऐसे ही फैलने वाला एक दूसरा वायरस हैं जिसका नाम है स्वाइन फ्लू या कहे H1N1 इनफ्लुएंजा ।
स्वाइन फ्लू सांस से जुड़ी बीमारी है, जो बेहद संक्रामक है. ये सूअरों से फैलने वाली बीमारी है और इससे मनुष्य भी संक्रमित होते हैं. ये वही बीमारी है, जिसे 2009 में WHO ने महामारी करार दिया था।
इस बीमारी का वाहक H1N1 इंफ्लूएंजा वायरस है, जो संक्रमित लोगों के खांसने और छींकने से फैलता है। ये वायरस हवा के जरिए हमारे वातावरण में फैलते हैं।
स्वाइन फ्लू के लक्षण दूसरे फ्लू की तरह ही हैं। इसमें बुखार, ठंड लगना, नाक से पानी, बार-बार छींक, गले में खराश और शरीर में दर्द हो सकता है।
अब बात करते हैं इसी से जुड़े अफ्रीकन स्वाइन फ्लू वायरस की जिसका वाहक भी H1N1 है । जिसके वजह से असम में अब तक 10 जिलो के 15865 सुअरो की मौत हो चुकी पिछले 2 महीनों में ।
असम में पहली बार इस साल फरवरी के आखरी हफ्ते में यह बीमारी सामने आई थी।
अभी के मामलों में ज्यादातर आवारा सुअर संक्रमित पाए गए हैं, लेकिन फार्मों वाले सुअरों में भी इन्फेक्शन देखने मिला है । एक किसान के 230 सुअर मर गए । इससे पहले उसके कर्मचारी का सुअर मर गया था । इसलिए आशंका है कि उस कर्मचारी के जरिए वायरस फार्म तक पहुंचा गया। ऐसा कुछ दूसरे फार्मों में भी देखा गया हैं ।
सरकार ने लिए बड़े फैसले
मुख्यमंत्री सोनोवाल ने पशु चिकित्सा और वन विभाग को इस वायरस से राज्य के सूअरों को बचाने के लिए एक व्यापक रोडमैप बनाने के लिए इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चरल रिसर्च (ICAR) के नेशनल पिग रिसर्च सेंटर के साथ काम करने के लिए कहा है ।
पहले कई संक्रमित सुअरो को मार दिया गया था लेकिन अब संक्रमित सूअरों को नहीं मार जा रहा, उसकी जगह “जैवसुरक्षा उपायों को लागू किया गया है जो लॉकडाउन के जैसा हैं। हाल के सर्वे के अनुसार आसाम में कुल 30 लाख के करीब सुअर है।
इस बीच असम ने प्रभावित जिलों में सुअरों और सुअर के मांस की बिक्री पर पूरी तरह रोक लगा दी गई है । इसके साथ ही सरकार ने पड़ोसी राज्यों से आग्रह किया है कि वे अपने यहां सुअरों के आवागमन पर रोक लगाएं, ताकि अन्य इलाकों में संक्रमण को फैलने से रोका जा सके ।
इसके साथ ही चिड़ियाघर को हर दूसरे दिन सेनेटाइज किया जा रहा हैं। साथ हि गहरा गड्ढा कई किलोमीटर खोदकर पालतू और जंगली सूअरों को आपस में मिलने से रोकने की कोशिश की जा रही है ।
असम तक कैसे आया वायरस का संक्रमण ?
नाम तो अफ्रीकन स्वाइन फ्लू है लेकिन, इस बार भी इंसानों के बाद जानवरों में भी बीमारी पहुंचाने वाला चाइना ही है ।
असम का दावा है कि वायरस भी नोवल कोरोना वायरस की तरह ही चीन से आया है । इस वायरस के कारण चीन में 2018 से 2020 के बीच करीब चीन के 60 प्रतिशत सुअरों की मौत हो गई थी.
असम के पशुपालन मंत्री अतुल बोरा ने कहा कि इसी साल फरवरी के अंत में इस वायरस का पता चला था, लेकिन इस बीमारी की शुरुआत अरुणाचल प्रदेश की सीमा से सटे चीन के झीजांग प्रांत के एक गांव से बीते साल अप्रैल में हुई थी
अगर बात करें इसके फैलने और इंसानों में संक्रमण की तो
हालांकि सुअर के अलावा अन्य जीव जंतुओं में इस बीमारी के फैलने की संभावना कम ही बताई जा रही हैं । ये जिंदा और मरे सूअर के मांस, लार, खून और टिश्यू से फैलता है ।
इस फ्लू से संक्रमित सुअरों की मृत्यु दर सौ प्रतिशत बताई जा रही है, इसकी गंभीरता दर्शाता है । फ़िलहाल इस बीमारी से निजात पाने का कोई भी इलाज या टीका नहीं है ।
वर्ल्ड ऑर्गनाइजेशन फॉर एनिमल हेल्थ के अनुसार अफ्रीकन स्वाइन फ़ीवर एक गंभीर वायरल बीमारी हैं, हालांकि यह बीमारी जानवरों से इंसानों में नहीं फैलती है ।
लेकिन इंसान या दूसरे जानवर इस वायरस के कैरियर के रूप में इस्तेमाल हो सकते हैं ।
जैसा कि फार्महाउस के कर्मचारी के केस में देखा गया था ।
चमगादरओं में पाए जाने वाला क्रोना वायरस, नए रूप में नोबेल क्रोना वायरस या कहे कोविड-19 के रूप में इंसानों को संक्रमित कर के कई वैज्ञानिकों को चौका चुका है ।
जिसको देखते हुए सुअरो में पाए जा रहे इस अफ्रीकन स्वाइन फ्लू को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।