इस समय कोरोना संकट की वजह से विश्वभर के जलवायु पर बहुत बड़ा असर हुआ है। दुनिया के सबसे प्रदूषित शहर भी आजकल अपनी वायु की गुणवत्ता को लेकर चर्चा में बने हुए है। दिल्ली जिसकी वायु दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों में गिनी जाती थी वहां भी अब वायु परिवर्तन से काफी अच्छी गुणवत्ता की हवा हो गई है।
वही एक रिसर्च में धरती पर सबसे शुद्ध हवा की खोज की गई है। कोलराडो स्टेट यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स ने ऐसे इलाकों की पहचान की जहां इंसान की वजह से हवा पर कोई असर नहीं पड़ा है। आपको बता दें कि,इस रिपोर्ट के अनुसार सदर्न ओशन के ऊपर बहने वाली हवा में एयरोसॉल पार्टिकल्स नहीं मिले।
क्या होते है एयरोसॉल पार्टिकल्स
आपको बता दें कि, एयरोसॉल पार्टिकल्स इंसानी ऐक्टिविटीज से बनते हैं जैसे ईंधन जलाना, फसलें उगाना, फर्टिलाइजर, कूड़ा-कूचरा फेंकना आदि। यही नही रिसर्च में यह भी बताया गया है कि, यहां पर दुनिया भर की खराब हवा का कोई नामोनिशान मिला।
यहां की हवा में सिर्फ शुद्ध तत्व
साइंटिस्ट्स ने मरीन बाउंड्री लेवल (वो हिस्सा जो समुद्र के सीधे संपर्क में होता है) से हवा के सैंपल लिए। फिर वातावरण में मिलने वाले माइक्रोब्स और इस हवा में मिले माइक्रोब्स की तुलना की गई। DNA सीक्वेंसिंग, सोर्स ट्रैकिंग और विंडबैक ट्रैजेक्टरीज से पता चला कि यहां के हवा में जो माइक्रोब्स थे, वे समुद्र के ही थे। दूर की हवा में मौजूद एयरोसॉल्स यहां नहीं मिले।
कहा से आई यहां इतनी साफ और शुद्ध हवा
रिसर्चर्स ने हवा में मौजूद बैक्टीरिया के जरिए यह पता लगाने की कोशिश की कि यहां की हवा में क्या है तो पता चला कि उसमें बाकी महाद्वीपों के माइक्रोऑर्गनिज्म्स नहीं हैं। CNN में छपी रिपोर्ट के अनुसार साइंटिस्ट थॉमस हिल समझाते हैं कि ‘एयरोसॉल्स की प्रॉपर्टीज को कंट्रोल करने वाले सदर्न ओशन के बादल ओशन बायोलॉजिकल प्रोसेस से मजबूती से जुड़े हैं। दक्षिणी महाद्वीपों से माइक्रोऑर्गनिज्म्स और न्यूट्रिएंट्स के प्रचार से अंटाकर्टिका अछूता लगता है।’