चीन की बड़ी टेक्नोलॉजी कंपनी हुआवेई एक बार फिर दुनिया में चर्चा का केंद्र बन गई है। हाल ही में कनाडा की दो बड़ी टेलीकॉम कंपनी बीसीई और टेलस ने कहा कि वह देश में 5G नेटवर्क विकसित करने के लिए केवल स्वीडन की कंपनी इरेक्शन, और फिनलैंड की कंपनी नोकिया के ही टेलीकम्युनिकेशन उपकरण इस्तेमाल करेंगे।
कनाडा की टेलीकॉम कंपनियों का चीनी कम्पनी हुआवेई से किनारा करने का मुख्य कारण हुआवेई कंपनी का चीनी सरकार से कनेक्शन होने के साथ ही फरवरी में आयी कनाडियन सेना की एक रिपोर्ट भी थी। जिसमें सरकार से मांग की गई थी कि चीनी कंपनी हुआवेई टेक्नोलॉजी कंपनी को कनाडा में बैन किया जाए।
चीनी कंपनी पर लगते रहे जासूसी के आरोप
चीन की हुआवेई कंपनी पर दुनिया के कई सारे देश जासूसी का आरोप लगाते आ रहे है। चीनी कंपनी हुआवेई के टेलीकम्युनिकेशन उपकरण अन्य प्रतिद्वंदी कंपनियों के अपेक्षा 40% तक सस्ते है। अमेरिका द्वारा कहा गया कि चीनी कंपनी हुआवेई के उपकरणों के सस्ता होने का कारण चीनी सरकार द्वारा बड़ी मात्रा में सब्सिडी प्रोवाइड करना है।
5 आई ग्रुप के 3 देश कर चुके है हुआवेई को पूर्णता प्रतिबंध
विश्व भर में इंटेलिजेंट आपस में शेयर करने वाला ग्रुप 5 आई जिसमें अमेरिका कनाडा, न्यूजीलैंड, ऑस्ट्रेलिया,यूनाइटेड किंगडम, शामिल है। इस ग्रुप में कनाडा ही केवल ऐसा देश है जिस ने चीनी कंपनी पर बैन लेकर अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया है। जबकि इस ग्रुप के अन्य सदस्य अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, हुआवेई पर प्रतिबंध लगा चुके हैं। यूनाइटेड किंगडम ने अपने टेलीकम्युनिकेशन सेक्टर में 2023 तक चीनी कंपनियों की हिस्सेदारी 0% करने की योजना बनाई है।
यूनाइटेड किंगडम ला चुका है डी 10 ग्रुप का प्रस्ताव
यूनाइटेड किंगडम के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन भी अमेरिका के साथ मिलकर डी 10 ग्रुप का प्रस्ताव ला चुके है। जिसमें जी 7 देशों के अलावा ऑस्ट्रेलिया, भारत, साउथ कोरिया को शामिल करने का प्रस्ताव है। इस ग्रुप का मुख्य कार्य आने वाले भविष्य में चीनी कंपनी हुआवेई की दुनिया में टेलीकम्युनिकेशन क्षेत्र में भागीदारी को कम करना है।