दिल्ली में आ रहे लगातार भूकंप ने सभी को हैरान कर दिया है. दिल्ली के निवासी पहले ही तेजी से बढ़ते कोरोना के मामलों से परेशान हैं. सरकार भी लगातार घर में ही रहने की सलाह दे रही है.
दिल्लीवालों की परेशानी तब और बढ़ जाती है जब दूसरी मुसीबत बन कर भूकंप बिन बुलाए मेहमान की तरह आ जाता है. भूकंप आने पर दिल्ली वाले इस बात को लेकर दुविधा में रहते हैं की कोरोना से बचाव के लिए घर में रहने की सलाह माने या भूकंप में घर से बहार खुले में जाने की.
दिल्ली में ना जाने ऐसे हजारों घरों में लाखों लोग रहते है, जो भूकंप के छोटे झटके से भी प्रभावित हो सकते है. कारणों की बात करे तो ऐसे बहुत से हैं. चाहे वो पुराने माकान हो या बिना किसी मापदंड के भीड़ -भाड़ में बनाए गए कमज़ोर निर्माण. भूकंप आने पर इनमें रहने वाले लोगों की मजबूरी हो जाती है बाहर निकलना. एक रिसर्च के मुताबिक दिल्ली के 80% माकन असुरक्षित है.
दिल्ली बना भूकंप की राजधानी
दिल्ली में आ रहे लगातार भूकंप ने एक नया रिकॉर्ड बनाया है. 2020 के अप्रैल से लेकर अब तक दिल्ली में 14 बार भूकंप आ चुके हैं. राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र का कहना है की ज्यादातर भूकंप मध्यम स्तर के थे, जिनकी तीव्रता पांच से कम रही है. दिल्ली भूकंप की श्रेणी 4 में आता है जो दिल्ली जैसे घनी आबादी के लिहाज़ से खतरनाक है.
उत्तर भारत में आने वाले अधिकतम भूकंप यूरेशिया और हिमालयन टेकटोनिक प्लेट्स के घिसाव से उत्पन्न उर्जा के कारण आता है. आप ये समझ सकते हैं की हिमालय जैसा दुनिया का सबसे ऊंचा पहाड़ भी इसी टकराव से 55 करोड़ साल पहले अस्तित्व में आया था. ये टकराव आज भी कुछ हद तक असर डालता रहता है.
हिमालय से जूरी है दिल्ली में आ रहे लगातार भूकंप की कहानी
वैज्ञानिको की माने तो इंडो-औस्तालियन प्लेट लगातार यूरेशियन प्लेट की तरफ हर साल 5-6cm बढ़ रहा है. अब बात करतें हैं दिल्ली और उसके आस- पास के इलाके ही क्यों प्रभावित होते हैं? इसका जवाब है वो फोल्ट लाइन जो दिल्ली शहर के आस-पास मौजूद है. दिल्ली-मुरादाबाद, दिल्ली-सरगोधा और दिल्ली-हरिद्वार फाल्ट लाइन जो काफी सक्रीय है. इनके वजह से हिमालय में हुए हर हलचल का असर दिल्ली पर पड़ता है. दिल्ली के यमुना किनारे का दलदली क्षेत्र भी इस क्षेत्र में होने वाले ऐसे मध्यम वर्ग के भूकंप का कारण माना जाता है.
Scientific studies have highlighted that the Indian plates are continuously driving towards the Eurasian plates at a rate of 5-6 cm per year.
— The Weather Channel India (@weatherindia) June 9, 2020
दिल्ली में होने वाले लगातार अवैध निर्माण और बिना भूकंप मापदंडो के होने वाली गहरी खुदाई भी भूकंप की तीव्रता और नुकसान को बढ़ा देता है. भारतीय भूकंप जोखिम मूल्यांकन केंद्र के पूर्व प्रमुख ए.शुक्ला की माने तो ये फाल्ट 6 से 6.5 तीव्रता के भूकंप पैदा करने में सक्षम है. भूकंप प्राकृतिक है और दुनिया में हर एक घंटे में भूकंप आते रहते हैं. लेकिन इसकी तीव्रता और होने वाला नुकसान मानवीय कार्य से प्रभावित होता है.
जैसे कोरोना वायरस का इलाज़ अब तक नही ढूंढा जा सका वैसे ही भूकंप का पूर्ण अनुमान लगाने की तकनीक अभी तक विकसित नहीं हो पाई है. फ़िलहाल इससे यही लगता है की दिल्ली वालों को इस तरह के भूकंप आने वाले दिनों में और देखने को मिल सकते है.