राजस्थान में सियासी घमासान मचा हुआ है। वहीं पर कांग्रेस ने कार्रवाई करते हुए सचिन पायलट को उपमुख्यमंत्री पद और कांग्रेस अध्यक्ष पद से हटा दिया है। सचिन पायलट को सोशल मीडिया पर जोरदार समर्थन मिल रहा है। वहीं पर कुछ ऐसी भी बातें हैं जो कि ध्यान देने वाली हैं। आपको बता दें कि अभी मार्च में ही ज्योतिरादित्य सिंधिया ने मध्य प्रदेश में सरकार गिरा दी थी। ज्योतिरादित्य सिंधिया अपने समर्थक विधायकों के साथ कांग्रेस से निकलकर बीजेपी में शामिल हो गए। जिसके बाद वहां की कांग्रेस सरकार अल्पमत में आ गई और सरकार गिर गई। बाद में बीजेपी ने बहुमत साबित कर दिया। इसके बाद भारतीय जनता पार्टी की सरकार बन गए और शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री बन गए। आपको बता दें कि कुछ इन्हीं उम्मीदों के साथ सचिन पायलट भी आए और उन्होंने अपने साथ अधिक विधायकों के होने का दावा किया। हालांकि सरकार नहीं गिरी। लेकिन सचिन पायलट को अपने पद से हाथ धोना पड़ा। उत्तर प्रदेश में रायबरेली से विधायक अदिति सिंह भी पार्टी से खफा चल रही थी और पार्टी की नीतियों के खिलाफ जाने की उन्होंने साहस की और उन्हें भी खतरा मोल लेना पड़ा। आपको बता दें कि अदिति सिंह ने भी पार्टी से बगावत कर ली है लेकिन पार्टी में हैं। उनकी विधानसभा सदस्यता को खत्म करने के लिए कांग्रेस ने विधानसभा अध्यक्ष से गुहार लगाई थी। हालांकि विधानसभा अध्यक्ष ने साक्ष्यों की कमी के चलते कांग्रेस की अर्जी खारिज कर दी। इसके बाद कांग्रेस कोर्ट जाएगी।
सिंधिया, पायलट और अदिति में क्या है कॉमन?
आपको बता दें कि ज्योतिराज सिंधिया ,सचिन पायलट और आदित्य सिंह में एक चीज कॉमन है कि उनके परिवार के सभी सदस्य कांग्रेस से शुरू से जुड़े रहे हैं और गांधी परिवार के करीबी रहें हैं। माधव राव सिंधिया भी कांग्रेस के सांसद रह चुके हैं और गांधी परिवार के काफी करीब रह चुके हैं। सचिन पायलट के पिता राजेश पायलट भी गांधी परिवार के करीबी रह चुके हैं। आपको बता दें कि अदिति सिंह के पिता भी कांग्रेस से ही विधायक रह चुके हैं। अदिति सिंह भी 2017 में कांग्रेस के टिकट पर ही चुनकर आई थी। 2017 में बीजेपी की लहर के बावजूद अदिति सिंह 90 हजार से अधिक वोटों से चुनाव जीती थी।
इसके साथ ही इन तीनों में एक चीज और कॉमन है वह यह है कि जब इन्होंने पार्टी के साथ बगावत की। तीनों ने एक ही लाइन का इस्तेमाल किया। ज्योतिरादित्य सिंधिया, सचिन पायलट और अदिति सिंह तीनों ने लिखा कि “सत्य को परेशान कर सकते हैं लेकिन पराजित नहीं”।