महाराष्ट्र के सांगली जिले के भोसे गांव के लोगों की 400 साल पुराने पेड़ को बचाने की मेहनत रंग लाई है। आपको बता दें, कि इस गांव से रत्नागिरी- नागपुर 166 स्टेट हाईवे को निकालना था। जिसके लिए गांव में येलम्मा मंदिर के पास स्थित 400 साल पुराना बरगद का पेड़ काटा जाना था। और इस पेड़ की जगह सर्विस रोड का निर्माण किया जाना था। जैसे ही जुलाई के शुरू में यह बात गांव के लोगों को पता चली। तो फिर गांव के लोगों ने चिपको आंदोलन शुरू कर दिया। शुरू में चिपको आंदोलन में कोरोना वायरस की वजह से केवल 20 लोग ही सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए, पेड़ को कटने से बचाते रहे, जैसे ही यह बात पर्यावरणविदों को और सामाजिक कार्यकर्ता को पता चली वह भी इस आंदोलन से जुड़ गए। बड़े स्तर पर इस अभियान को चलाएं।
सह्याद्री संगठन ने निभाई एवं भूमिका
गांव वालों ने सह्याद्री संगठन के सहयोग से फेसबुक पर पेड़ से जुड़ी इमेजेस और वीडियो पोस्ट करनी शुरू की। जिसके बाद गांव वालों को इस मुहिम में बड़े स्तर पर लोगों से समर्थन मिलने लगा। और जल्दी ही ऑनलाइन पिटिशन के माध्यम से 14000 से अधिक लोग इस मुहिम से जुड़ गए।
आदित्य ठाकरे ने राष्ट्रीय राजमार्ग मंत्रालय को लिखी चिट्ठी
गांव वालों के द्वारा सोशल मीडिया के माध्यम से यह खबर राज्य के पर्यावरण मंत्री आदित्य ठाकरे को पता चली। जिसके बाद आदित्य ठाकरे ने 16 जुलाई को राष्ट्रीय राजमार्ग मंत्रालय को चिट्ठी लिखकर सांगली जिले के भोसे गांव में 400 साल पुराने पेड़ को ना काटने की सिफारिश की। जिसके बाद मंत्रालय ने तुरंत फैसला लेते हुए हाईवे का नक्शा बदलने का निर्णय लिया।
मी केंद्रीय भूपृष्ठ वाहतूक मंत्री @nitin_gadkari जी यांना पत्र लिहून सांगली येथील राष्ट्रीय महामार्गाच्या कामामध्ये येणारे सुमारे ४०० वर्षे पुरातन असलेला वटवृक्ष वाचविण्याची विनंती केली. pic.twitter.com/uEPTPXJMdX
— Aaditya Thackeray (@AUThackeray) July 17, 2020
अब आरेखन गांव से गुजरेगा हाईवे
लोगों की भावनाओं को देखते हुए राष्ट्रीय राजमार्ग मंत्रालय ने हाईवे के नक्शे को बदलाव करने का निर्णय लिया है। जिसके बाद अब हाईवे पास ही के आरेखन गांव से गुजरेगा।