जन की बात के फाउंडर एंड सीईओ प्रदीप भंडारी ने जन की बात कन्वर्सेशन सीरीज में बृहस्पतिवार को कश्मीरी पंडितों के लिए न्याय की लड़ाई लड़ रहे एक्टिविस्ट सुशील पंडित से बातचीत की। इस दौरान सुशील पंडित ने बताया कि धारा 370 के हटने के बाद कश्मीर में क्या बदलाव आए हैं? कैसे वहां पर सामाजिक समानता बढ़ रही है और कश्मीर में आदमी अब कितना सुरक्षित महसूस कर रहा है? पढ़िए प्रदीप भंडारी और सुशील पंडित के बीच बातचीत के कुछ अंश:-
प्रदीप भंडारी ने पूछा कि 5 अगस्त को धारा 370 हटाने के 1 साल पूरे हो रहे हैं इस दौरान कश्मीर की गाड़ी शांति और सुरक्षा पर कैसे आगे बढ़ रही है?
इस सवाल का जवाब देते हुए सुशील पंडित ने कहा कि 5 अगस्त 2019 के फैसले बड़े कमाल के फैसले थे। पहली बार भारत की ताकत को दुनिया ने देखा और पहली बार ऐसा लगा कि भारत अब चुनौतियों का सामना आंख में आंख डाल कर के कर रहा है। इस फैसले का सबसे बड़ा झटका भारत के दुश्मनों को लगा। फैसले के बाद 48 घंटे के अंदर भारत के राजदूत को पाकिस्तान ने एक एक्सपेल कर दिया। यह काम भारत ने कारगिल युद्ध के दौरान, पार्लियामेंट अटैक के दौरान भी नहीं किया था। यहां तक कि 26/11 के बाद भी नहीं किया था। यही नहीं पाकिस्तान ने अपने माई बाप चीन को सिक्योरिटी काउंसिल भी भेजा। 5 महीने के अंदर चीन तीन बार सिक्योरिटी काउंसिल गया। लेकिन तीनों ही बार उसे मुंह की खानी पड़ी। सिक्योरिटी काउंसिल में 5 में से 4 परमानेंट सदस्यों ने कह दिया कि यह हमारे विचार का विषय नहीं है।
प्रदीप भंडारी ने पूछा कि कश्मीर में पत्थरबाजी की घटनाएं भी काफी कम हो गई है, फिर भी करीब 19 कश्मीरी नेताओं को अभी भी नजरबंद में क्यों रखा गया है?
इस पर जवाब देते हुए सुशील पंडित ने कहा कि यह जो कश्मीर में पत्थरबाजी की घटनाएं कम हुई है, इस कारण ही कम हुई है कि क्योंकि खुराफाती लोगों को अभी भी नजरबंद किया गया है। जैसे ही ये बाहर जाते हैं फिर घटनाएं चालू हो जाती है क्योंकि यही लोग पत्थरबाजी करवाते है। ये वहां के लोगों को भड़काते है कि पत्थरबाजी करो ,सिक्योरिटी फोर्स पर हमले करो, लूट करो, जो मन में आए वो करो, तो जब तक यह लोग अंदर है तब तक ऐसी घटनाएं नहीं होंगी। लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या इन घटनाओं के स्रोत की कमर तोड़ी गई है? 2010 में भी पत्थरबाजी की घटनाएं काफी अधिक थी, लेकिन फिर 2012, 2013 में कम हो गई थी और फिर 2016 के बाद घटनाएं बढ़ गई। हमे कश्मीर के मसले को सॉल्व करना है, उसको मैनेज नहीं करना है। अभी तक सिर्फ मैनेज किया गया।
कश्मीर में घटना इसलिए कम हुई है क्योंकि इसको ऑर्गेनाइज करने वाले ,इस को गाइड करने वाले ,अभी नजरबंद है? इसके साथ ही सुशील पंडित ने अल्ताफ बुखारी पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि पुरानी शराब को नई बोतल में पेश किया जा रहा है। इसी अल्ताफ बुखारी की गाड़ी से आरडीएक्स पकड़ा गया, अवैध हथियार पकड़े गए और अब इसी को कश्मीर की नई राजनीति में लोकतंत्र स्थापित करने की जिम्मेदारी दी जा रही है। इसके डेलीगेशन से प्रधानमंत्री और गृह मंत्री मिल रहे हैं, इससे क्या संदेश जाएगा?
प्रदीप भंडारी ने पूछा कि क्या यूनियन टेरिटरी कश्मीर के लिए फायदेमंद है?
इस पर सुशील पंडित ने जवाब दिया कि क्यों नहीं यूनियन टेरिटरी कश्मीर के लिए फायदेमंद है? क्या पांडुचेरी यूनियन टेरिटरी नहीं है , दिल्ली ,चंडीगढ़ यूनियन टेरिटरी है। यहां पर भी एक अपनी एडमिनिस्ट्रेटिव यूनिट काम कर रही है। प्रदेशों के नागरिकों को भी वही अधिकार मिल रहे हैं जो अन्य प्रदेश के नागरिकों को मिल रहा। जिस दिन कश्मीर के लोगों को सुरक्षा मिल जाएगी। लोगों पर लग जाएगा कि अब सेफ है। भारत की जड़ खोदने वालों को अक्ल जिस दिन आ जाएगी उस दिन फिर से राज्य बन जाएगा। हालांकि अभी यह स्थिति दूर-दूर तक नहीं दिखाई दे रही है।
केंद्र को भी इस पर पैनी नजर रखनी होगी, क्योंकि कश्मीर में राज्य सरकारों ने अपने लिए अलग-अलग कानून बना लिए थे। क्योंकि हमारे देश में राज्य सरकारों को बहुत अधिकार मिले हुए। पूरे लॉ एंड ऑर्डर की जिम्मेदारी राज्य सरकार की ही होती है।
प्रदीप भंडारी ने पूछा कि अभी अजय पंडिता को कश्मीर में आतंकियों ने मार दिया, आपको क्या लगता है कि कश्मीरी पंडित कब घाटी वापस जाएंगे?
इस सवाल का जवाब देते हुए सुशील पंडित ने बताया कि हम क्यों नहीं कश्मीर जाना चाहते हैं वह हमारी मातृभूमि है हमारे पूर्वज वहीं के हैं कम जरूर वहां पर जाएंगे लेकिन सुरक्षा का भी एक बड़ा विषय है यह सरकार को तय करना है कि कश्मीरी पंडित कश्मीर कब वापस जाएंगे अजय पंडिता बिना सरकार के आश्वासन के गए थे उनसे उसके बदले में क्या कीमत वसूली गई हम सभी को पता है। वह उस गांव में अकेले रहते थे अपनी मेहनत के दम पर वहां के सरपंच बने थे। फिर बाद में तीन हथियारबंद आतंकी आते हैं और निहत्थे आदमी पर हमला करके चले जाते हैं। सारी व्यवस्था देखती रह जाती है। तो जब सरकार वहां पर उचित सुरक्षा के इंतजाम कर देगी और सरकार कश्मीरी पंडितों को वापस भेजने का मन बना लेगी, उस समय कश्मीरी पंडित घाटी वापस जाएंगे।
इसके साथ ही सुशील पंडित ने प्रदीप भंडारी से विशेष बातचीत के दौरान कई और अहम सवालों के जवाब भी दिए।
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