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नई शिक्षा नीति में क्या है स्कूल और कॉलेज जाने वाले छात्रों के लिए खास, पढ़े पूरी रिपोर्ट

अमन वर्मा (जन की बात)

स्कूल के छात्रों पर प्रभाव:

कैबिनेट बैठक द्वारा पास की गई नई शिक्षा नीति, बुनियादी तौर पर शिक्षा में बड़े बदलाव करने के बारे में है। नई शिक्षा नीति के अनुसार स्कूली शिक्षा 3 से 18 वर्ष की होगी, इसे अलग-अलग स्तरों तक तोड़ दिया है नई नीति के अनुसार अब 5 + 3 + 3 + 4 नियम का पालन करना तय है। पांच साल फाउंडेशन कोर्स होगा, यह 3 से 8 साल की उम्र से होगा। अगले 3 साल यानी 9 से 11 साल के लिए तैयार पाठ्यक्रम हैं, और फिर मध्य शिक्षा है जो 11 से 14 वर्ष की आयु सीमा तक होगी और अंत में 4 साल की माध्यमिक शिक्षा है। इस ढांचे का दिलचस्प बिंदु यह है कि शिक्षा नीति में 3 भाषा के संबंध पर भी प्रकाश डाला गया है जो कि हमेशा से रही है,और आगे भी जारी रहेगी। लेकिन स्थानीय भाषा कक्षा 5वी तक शिक्षा का माध्यम होगी ये इस नीति का एक महत्वपूर्ण बिंदु है, इसी के साथ नई शिक्षा नीति में कहा गया है कि स्थानीय भाषा या क्षेत्रीय भाषा आठवीं कक्षा तक भी पाठ का पसंदीदा माध्यम होगी पर वो छात्रों पर निर्भर करेगा। इसलिए, आठवीं कक्षा तक, इसे प्राथमिकता दी जा सकती है, लेकिन कक्षा V तक, यह अनिवार्य है। अपने मन मुताबिक विषयों को चुनने की आज़ादी देने वाली बात इस नई नीति की एक ऐसी कड़ी है जिसके बारे में हर वो छात्र जो 10वी तक अच्छा प्रदर्शन करता है, मगर उसके बाद जटिल सब्जेक्ट्स में फस जाता है, इसलिए अब जो छात्र कला या विज्ञान के अलग अलग सब्जेक्ट्स को चुन सकेंगे। इससे बोर्ड परीक्षा में कम तनाव होगा, यह एक स्वागतयोग्य कदम है क्योंकि छात्रों को इस परीक्षा पर जोर नहीं देना चाहिए। अब सबसे दिलचस्प हिस्सा यह है कि व्यावसायिक शिक्षा पर और इंटर्नशिप पर भी बहुत अधिक ध्यान दिया जा रहा है। शिक्षा नीति के अनुसार, इंटर्नशिप कक्षा छठी से शुरू होगी ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि छात्रों को इस क्षेत्र में या उस पाठ्यक्रम में प्रशिक्षण प्राप्त हो जिसमें वे रुचि रखते हैं।

कॉलेज के छात्रों पर प्रभाव:

अब नई शिक्षा नीति के अनुसार एक सामान्य कॉलेज प्रवेश परीक्षा होने जा रही है, यह वर्ष में दो बार होगी, जिसे हम SAT के रूप में देखेंगे। एक नई राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी भी गठित होगी जो परीक्षण के मानदंडों को चुनने के लिए स्थापित की जाएगी। बैचलर ऑफ आर्ट्स या बैचलर ऑफ साइंस अब चार साल का कार्यक्रम होगा। जिसमे छात्र बीच में छुट्टी भी ले सकते हैं, इसलिए, इसका मतलब है कि उनके पास ब्रेक लेने और बाद अपनी डिग्री को पूरा करने का विकल्प होगा। ये प्रणाली दूसरे देशों की तरह इससे पहले भारत में उपलब्ध नहीं थीं। कॉलेजों को आगे बढ़कर डिग्री देने के लिए भी स्वायत्तता होने जा रही है, अब कॉलेजों को डिग्री सौंपने की बहुत अधिक स्वतंत्रता होगी। उच्च शिक्षा के संबंध में अब निजी संस्थानों के लिए प्रस्तावित फीस कैप भी है, यह एक और स्वागत योग्य कदम है, फीस कैप एक निजी संस्थान के अधिकारियों द्वारा तय की जाएगी और यह उच्च शिक्षा के लिए होगी। भारतीय विश्वविद्यालयों और विदेशी विश्वविद्यालयों के बीच बहुत अधिक पत्राचार करने के संबंध में एक और बढ़ावा यह है कि शीर्ष भारतीय कॉलेज एक विदेशी परिसर स्थापित करेंगे और इसके अलावा वैश्विक विविधता को भारत में प्रवेश करने के लिए बहुत अधिक स्थान दिया जाएगा, जो सुनिश्चित करेगा कि शिक्षा का बहुत अधिक आदान-प्रदान हो।

यह एक अद्भुत निर्णय है। संपूर्ण ढांचा खड़ा शिक्षा प्रणाली में लागू होने वाले बदलाव लंबे समय से प्रतीक्षित थे। यह एक ऐसा कदम है जो शिक्षा को एक प्रणाली में बदल कर क्रांति लाएगा।

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Sombir Sharma
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Sombir Sharma - Journalist

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