सुशांत सिंह राजपूत मामले को सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को सौंप दिया। मुंबई पुलिस के लचर रवैया के बाद लोगों का गुस्सा महाराष्ट्र सरकार और मुंबई पुलिस पर फूटा जिसके बाद बिहार सरकार ने केंद्र सरकार से इस मामले की सीबीआई जांच की मांग की। आपको बता दें कि केंद्र सरकार ने तुरंत ही बिहार सरकार की इस मांग को मान लिया और मामले में सीबीआई जांच को हरी झंडी दे दी। हालांकि बाद में महाराष्ट्र सरकार और रिया चक्रवर्ती ने सीबीआई जांच का विरोध किया और यह लोग विरोध करने के चक्कर में सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए। इनका तर्क था कि मुंबई पुलिस एकदम अच्छे से जांच कर रही है लेकिन बिहार सरकार और सुशांत के घर वालों ने कहा कि मुंबई पुलिस उन लोगों से पूछताछ नहीं कर रही है जो इस मामले में संदिग्ध है। मुंबई पुलिस इस मामले को दबाना चाहती है। महाराष्ट्र सरकार ने काफी कोशिश की कि केस सीबीआई के पास ना जाए हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने मामला सीबीआई को सौंप दिया।
जन की बात की मुहीम
आपको बता दें कि सुशांत सिंह राजपूत के न्याय की मुहिम में कई बड़े संगठनों ने जमकर हिस्सा लिया। जबकि मीडिया हाउसेस ने भी सुशांत मामले में बढ़-चढ़कर सुशांत को न्याय दिलाने के लिए आगे आए। रिपब्लिक मीडिया नेटवर्क हर दिन नए खुलासे कर रहा था ,जिसके बाद दबाव और बनता जा रहा था। वहीं पर जन की बात और उसके फाउंडर एंड सीईओ प्रदीप भंडारी भी लगातार सुशांत सिंह राजपूत के न्याय के लिए लड़ाई लड़ रहे थे। जन की बात के फाउंडर एंड सीईओ प्रदीप भंडारी ने 50 से अधिक टीवी डिबेट में सुशांत सिंह राजपूत के न्याय के लिए सीबीआई जांच की मांग की। वहीं जन की बात डिजिटल प्लेटफार्म ने सुशांत सिंह राजपूत के न्याय के लिए और मामले को सीबीआई को सौंपने के लिए 200 से अधिक आर्टिकल लिखें। सुप्रीम कोर्ट ने सबकी भावनाओं का ख्याल रखा और मामले को सीबीआई को सौंप दिया। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की ,कि मुंबई पुलिस ने जांच नहीं की बल्कि इंक्वायरी की। आपको बता दें कि सीबीआई सुशांत सिंह राजपूत को न्याय दिलाने के लिए पहला कदम है, पूरी लड़ाई अभी बाकी है।