नए संसद भवन के निर्माण कार्य की चर्चा काफी दिनों से चली आ रही थी। प्रधानमंत्री मोदी ने संसद भवन से लेकर इंडिया गेट और राष्ट्रपति भवन के क्षेत्रों के पूर्व निर्माण की बात जैसे ही रखी थी वैसे ही चर्चाओं का विषय गरमा गया था।
अभी हम जिस संसद भवन को देखते हैं, उसे ब्रिटिश आर्किटेक्ट सर एडविन लुटियन और सर हर्बर्ट बेकर द्वारा 1912-13 के बीच मे ईमारत की रूप रेखा तैयार किया गया था। वही 1921 में संसद भवन का निर्माण शुरू करते हुए 1927 में बन कर तैयार कर लिया गया था।
देश का संसद भवन दुनिया में अपने भव्यता और वास्तुकला के लिए जाना जाता हैं और इसी को देखते हुए पूरे 100 साल बाद इसे पुनर निर्माण किया जाएगा।
100 साल पहले बने इस संसद भवन में अभी 545 सांसदों के आराम से बैठेने की जगह है लेकिन नए संसद भवन में 900 सांसदों के बैठने की जगह बनाई जाएगी, ताकि भविष्य में सीटों के बढ़ने की वजह से समस्या ना हो।
किसे मिला है संसद भवन बनाने का ठेका ?
देश की सबसे पुरानी और प्रतिष्ठित कंपनी टाटा समुह के टाटा कंस्ट्रक्शन को इस नए संसद भवन के निर्माण का ठेका मिला है।
करीब 865 करोड़ के लागत से संसद भवन का निर्माण होगा। आज से एक दशक पहले यानी 100 साल पहले संसंद भवन के निर्माण में 6-7 साल लगे थे। अब जब तकनीक और संसाधनों में काफी विकास हो चुका है तो नए निर्माण में 2 साल से भी कम वक़्त में बनाने का लक्ष्य रखा गया है।
नए संसद भवन में भारत की विविधता को दर्शाने के लिए कई नए प्रयोग किए जाएंगे। संसद भवन की हर खिड़कियाँ अलग अंदाज और साइज में बनाई जाएगी। नई इमारत पारलियामेंट स्टेट हाउस के प्लॉट नंबर 118 पर निर्मित की जाएगी।
नए संसद में 900 सीटों के साथ-साथ सांसदों की सीट में भी बदलाव किया गया है अब तो दो सांसदों के लिए एक सीट बनाई जाएगी जिसकी लंबाई 120 सेंटीमीटर होगी।