उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले में एक घटना ने पूरे देश को हिला दिया। आपको बता दें कि 14 सितंबर को एक नाबालिक लड़की के साथ 4 लोगों ने गैंगरेप किया और उसके बाद उस लड़की पर फिजिकली भी अटैक किया। इसका नतीजा यह हुआ कि लड़की की जीभ काट दी गई और लड़की की रीढ़ की हड्डी भी टूट गई। बाद में जब लड़की की मां उसे लेकर नजदीकी पुलिस थाने गई तो पुलिस एफआईआर दर्ज करने में आनाकानी करती रही। इसका नतीजा यह हुआ कि 8 दिनों तक गैंगरेप की धारा तक नहीं दर्ज हुई और मामला बढ़ता चला गया। इसके साथ ही साथ लड़की को अच्छी इलाज की सुविधा भी नहीं मिली। जब मामला मीडिया में तूल पकड़ा तो प्रशासन थोड़ा एक्टिव हुआ। लड़की को दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल रेफर किया गया। आपको बता दें कि दुर्भाग्यवश सफदरजंग अस्पताल में 29 सितंबर को लड़की की मौत हो गई।
आपको बता दें कि सबसे बड़ी घटना लड़की की मौत के बाद घटी। लड़की के मरने के बाद पूरे देश में हाहाकार मचा और दोषियों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई करने की मांग होने लगी। इसी बीच पुलिस ने कुछ ऐसा कुकृत्य किया जिससे पूरा देश शर्मसार हुआ। आपको बता दें कि परिवार के मुताबिक उन्होंने पुलिस से अंतिम संस्कार के लिए हाथरस की गुड़िया का शव मांगा, जिसे पुलिस ने देने से इंकार कर दिया और बाद में रात में ही पुलिस ने लड़की के शव को जला दिया। परिवार का कहना है कि वह लड़की का अंतिम संस्कार करना चाहते थे पूरे हिंदू रीति रिवाज से करना चाहते थे। लेकिन पुलिस ने ऐसा नहीं होने दिया और पुलिस ने डर के मारे लड़की को रात को घर से 600 मीटर की दूरी पर ही अंतिम संस्कार कर दिया।
प्रदीप भंडारी ने भी की कड़ी कार्यवाही की मांग
जन की बात के फाउंडर एंड सीईओ प्रदीप भंडारी ने भी हाथरस मामले पर न्याय की मांग की। उन्होंने ट्वीट किया “एक प्रणाली जो 19 साल की लड़की को बर्बरता से बचाने में विफल रहती है, एक प्रणाली जो राक्षसों के खिलाफ कार्रवाई करने में 9 दिन का समय लेती है, एक ऐसी प्रणाली जो मजबूत कानूनों के बावजूद बलात्कारियों के मन में भय पैदा करने के लिए पर्याप्त नहीं है, एक प्रणाली है महिलाओं को हर रोज विफल करना। वे मनुष्य नहीं थे, वे जानवर थे। हम गुस्से में भड़क गए हैं, हमने कैंडल लाइट मार्च निकाला था, हमने संसद को मजबूत कानून बनाने के लिए मजबूर किया था और फिर भी हम रक्षा करने में विफल रहे हैं। तो क्या विकल्प है जो हमें छोड़ देता है? “