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टीआरपी स्कैम:- क्या रिपब्लिक टीवी टीआरपी स्कैम का विक्टिम है?

“यह दावा ऑपइंडिया की इनवेस्टिगेटिव रिपोर्ट के अनुसार है।”

अभी हाल ही में मुंबई पुलिस ने टीआरपी स्कैम को लेकर के एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी और उसने यह दावा किया था कि उनके पास रिपब्लिक टीवी और अर्नब गोस्वामी के खिलाफ टीआरपी स्कैम को लेकर सारे सबूत हैं। साथ ही उन्होंने दावा किया कि उनके पास फॉरेंसिक रिपोर्ट भी है जो कि एक ठोस सबूत के तौर पर काम करेगी।

मुंबई पुलिस ने दावा किया कि हाल ही में भारत द्वारा एक फॉरेंसिक ऑडिट कंडक्ट की गई है जिसमें कुछ ऐसी सामग्री निकल कर आई है जिससे यह पता चलता है कि रिपब्लिक टीवी अंग्रेजी न्यूज़ चैनलों में नंबर वन होने के लिए टीआरपी में हेर-फेर करता था। मुंबई पुलिस के ज्वाइंट कमिश्नर ने कहा कि BARC ने ऑडिटर्स की एक कमेटी बनाई थी जो कि पिछले 44 हफ्तों के डाटा का एनालिसिस कर रही थी। इससे यह सामने निकल कर आया कि टीवी रेटिंग पहले से ही डिसाइड थी और उनके अनुसार थीं।

मुंबई पुलिस के दावे के बाद लोकप्रिय वेबसाइट ऑप-इंडिया ने एक बड़ा खुलासा किया। ऑप इंडिया को BARC द्वारा विश्लेषित की गई फॉरेंसिक रिपोर्ट के कुछ हिस्से प्राप्त हुए और उस रिपोर्ट में ऐसे खुलासे किए गए हैं, जो कई अन्य चैनलों को दर्शाता है। डिजिटल फॉरेंसिक विश्लेषण को 2020 में ही किया गया था।

इस रिपोर्ट के एक बड़े ही अहम हिस्से से एक और बड़ा खुलासा हुआ है। इस रिपोर्ट से ऐसा लग रहा है कि चैनल सोनी सिक्स यह सुनिश्चित करने का प्रयास कर रहा था कि शीर्ष चैनलों में उनका नाम रहे। संयोग से इस रिपोर्ट में एक मेल भी शामिल है जिसमें BARC के शीर्ष प्रबंधन और BARC रिसर्चर्स के बीच बातचीत हुई है और बाद में चैनल सोनी सिक्स का नाम शामिल करने से इंकार कर रहा है और शीर्ष प्रबंधन लगातर ऐसा करने के लिए कह रहा था।

मेल पर हुई बातचीत के बीच पहला मेल है, जिसमें BARC का एक वरिष्ठ अधिकारी BARC के रिसर्चर से आग्रह कर रहा है कि चैनल सोनी सिक्स का नाम अल्फा क्लब रिपोर्ट में शामिल रहना चाहिए। “अल्फा क्लब रिपोर्ट” को 2015 में BARC द्वारा अपने ग्राहकों के लिए एक सब्सक्राइबर के रूप में शुरू किया गया था। इसका उद्देश्य ग्राहकों को ये जानकारी देना था कि “भारत क्या देखता है”?

लेकिन इस मेल का जवाब सबसे महत्वपूर्ण और रोचक था। इस मेल के जवाब में BARC का रिसर्चर डाटा से किसी भी प्रकार की छेड़खानी करने से मना कर देता है। रिसर्चर साफ साफ जवाब देता है कि वो रिसर्च की सत्यता से किसी भी प्रकार का समझौता नहीं करेगा। उसके लिए सभी चैनल और स्टेकहोल्डर बराबर हैं। हम सोनी सिक्स को इसमें शामिल नहीं कर सकते। इसके बाद सोनी सिक्स को अल्फा क्लब रिपोर्ट में शामिल नहीं किया जाता है।

इस मेल के जवाब में BARC के अधिकारियों द्वारा आया हुआ एक अन्य मेल आश्चर्यजनक होता है। उस मेल में यह कहा जाता है कि हमें सोनी सिक्स को शामिल करना ही होगा ,क्योंकि इस पर आईपीएल का प्रसारण हो रहा है। ये मेल 26 मई 2016 की है।

2016 में आईपीएल 9 अप्रैल 2016 को शुरू हुआ, और 29 मई 2016 को संपन्न हुआ था। 2015 में BARC की प्रेस रिपोर्ट के अनुसार, अल्फा रिपोर्ट सेवा विशेष रूप से BARC भारत के ग्राहकों को चौथे सप्ताह के डाटा के रिलीज़ होने के बाद एक वर्किंग डे पर दिया जायेगा। 4 वें सप्ताह का डेटा जारी किया गया है। इसीलिए सोनी सिक्स को शामिल करने के बारे में समझना महत्वपूर्ण था क्योंकि ग्राहकों के लिए इसका मतलब यह होगा कि आईपीएल को व्यापक रूप से देखा जा रहा था जबकि ऐसा नहीं था।

“किसी भी चैनल का BARC की लिस्ट में टॉप पर आना केवल प्रतिष्ठा की ही बात नहीं होती है, बल्कि उस चैनल के विज्ञापन और राजस्व में भी फ़ायदा होता है।”

 

“सोनी” की वेबसाइट के अनुसार एनपी सिंह इस वक्त सोनी पिक्चर्स के एमडी और सीईओ हैं। 1999 में एनपी सिंह सोनी के साथ जुड़े और 2014 में उनको सोनी पिक्चर्स का सीईओ बना दिया गया। यानी कि जब इस मेल का आदान-प्रदान हो रहा था, उस वक्त एनपी सिंह नेटवर्क के सीईओ थे।

 

“संयोग से एनपी सिंह BARC के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर भी हैं और सिर्फ BARC के डायरेक्टर ही नहीं है बल्कि इंडियन ब्रॉडकास्टिंग फेडरेशन (IBF) के निदेशक भी हैं। IBF का 60% स्टेक BARC में ही है। यह जानकारी हितों के टकराव की ओर इशारा करती है और एक बात और कंफर्म होती है कि सोनी सिक्स को अप्रत्याशित फायदे दिए गए।”

 

अब सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि क्या आईपीएल को फेंक डाटा की जरूरत है और BARC उसे इंटरनली ऐसा करने दे रहा था और ऐसा करने में उसकी मदद कर रहा था। हालांकि इन मेल के आदान-प्रदान से एक और बात का पता चलता है कि BARC अंदर से पूरी तरीके से सही नहीं है और यह हमारे समक्ष सही डाटा नहीं लाता है। BARC के डाटा के साथ छेड़छाड़ की जा सकती है और नतीजों को बदला जा सकता है।

आश्चर्यजनक रूप से रिपब्लिक टीवी पर पैनी नजर रखी जा रही है और लगातार गहन जांच की जा रही है। जबकि सोनी सिक्स से किसी भी अधिकारी को अभी तक समन नहीं किया गया है ना ही पूछताछ के लिए बुलाया गया है। ऐसा तब हो रहा है जब हनसा रिसर्च की एफआईआर कॉपी में रिपब्लिक टीवी का नाम नहीं बल्कि इंडिया टुडे का नाम है ,लेकीन इन्वेस्टिगेशन पूरा रिपब्लिक टीवी पर फोकस किया जा रहा है। जबकि टीआरपी स्कैम में रिपब्लिक टीवी का नाम न ही हंसा या BARC की रिपोर्ट में है।

इन खुलासों से यह स्पष्ट है कि टीआरपी स्कैम का मामला रिपब्लिक टीवी और सोनी सिक्स से कहीं अधिक BARC की धोखाधड़ी पर है। जब इन मेल का आदान-प्रदान हुआ था और सोनी सिक्स को अल्फा रिपोर्ट में शामिल करने की बात की जा रही थी उस वक्त रिपब्लिक टीवी लॉन्च भी नहीं हुआ था। यह बातें 2016 की है जबकि रिपब्लिक टीवी 2017 में लांच हुआ है।

 

टीआरपी स्कैम जितना हम सोच रहे हैं उससे कहीं अधिक गहरा है। साथ ही न्यूज़ चैनल की जांच तो एजेंसियां कर रही है लेकिन खेल और एंटरटेनमेंट सेक्शन में विज्ञापन और राजस्व की प्राप्ति न्यूज़ चैनल से कहीं अधिक होती है। BARC भी पूरे मामले पर सही और पूरी जानकारी नहीं दे रहा है और वह इस पूरे मामले में कुछ जानकारी देकर बच बचाने का प्रयास कर रहा है। सच सामने लाने के लिए सभी चैनल के जिम्मेदार लोगों से इस मामले पर पूछताछ की जानी चाहिए और इन सब में BARC के अधिकारी सबसे महत्वपूर्ण हैं।

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