सुशांत केस में आवाज उठाने को लेकर जन की बात के संस्थापक प्रदीप भंडारी पर मुंबई पुलिस ने राजनीतिक दबाव के तहत कई कार्रवाई की। लेकिन अंततः कोर्ट में लगातार प्रदीप भंडारी को जीत मिल रही है। ताजा खबर है प्रदीप भंडारी को लेकर जहां पर मुंबई पुलिस को कोर्ट ने एक आदेश दिया है। आपको बता दें कि 17 अक्टूबर को एंटीसिपेटरी बेल होने के बावजूद प्रदीप भंडारी को खार पुलिस ने राजनीतिक दबाव के कारण पूछताछ के लिए बुलाया और उनसे 10 घंटे तक पूछताछ की। इसके बाद राजनीतिक दबाव में खार पुलिस ने प्रदीप भंडारी के दो वन प्लस एंड्राइड मोबाइल फोन जबकि एक नोकिया का कीपैड फोन जब्त कर लिया।
पुलिस ने मोबाइल फोन जब्त करते हुए यह हवाला दिया कि फोन को फॉरेंसिक जांच के लिए भेजा जाएगा। बाद में यह बताया गया कि 9 नवंबर 2020 को फॉरेंसिक जांच के लिए फोन को भेज दिया गया। हालांकि कोर्ट ने कहा कि इसका कोई मतलब नहीं था। इसके समय से अधिक का समय मिल चुका है। अब कोर्ट ने आदेश देते हुए कहा कि खार पुलिस को प्रदीप भंडारी के दोनों एंड्रॉयड फोन और एक नोकिया का कीपैड वाला फोन वापस कर देना चाहिए। ऐसा आदेश कोर्ट ने दिया है।
इसके साथ ही कोर्ट ने एक और आदेश दिया है कि इन्वेस्टिगेटिंग ऑफीसर यानी आईओ को फोन को देने से पहले फोन की चारों तरफ के फोटोग्राफ खींच कर रखनी चाहिए, ताकि बाद में कोई परेशानी ना हो। इसके साथ ही साथ कोर्ट ने प्रदीप भंडारी को भी निर्देश दिया है कि अगर आगे खार पुलिस या कोर्ट को कोई आपत्ति होती है या प्रदीप भंडारी को उनके फ़ोन के साथ बुलाया जाता है तो उन्हें संबंधित जगह पर जब्त फोन के साथ आना होगा।