भारत का संविधान देश के प्रत्येक नागरिक को उसकी मर्जी के अनुसार धर्म का निर्वहन करने का अधिकार देता है ऐसे में देश के प्रसाशन के ऊपर देश में किसी भी तरह की सांप्रदायिक भावना और गतिविधियों को रोकने की जिम्मेदारी है। एक जिम्मेदार नागरिक होने के नाते हमारा भी ये कर्तव्य बनता है कि हम एक दूसरे के धर्म का सम्मान करें और प्रेम से रहें। परन्तु आजदी के सात दशक बाद भी देश में यदि कहीं भी सांप्रदायिक तनाव उत्पन्न होता है तो ये बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है और देश की कानून व्यवस्था के ऊपर ये दायित्व आता है कि को अपराधियों को सख्त से सख्त सजा दे और देश की अस्मिता पर आंच आने से बचाए।
देश की अस्मिता और अखंडता को नुकसान पहुंचाने के आज से पहले जीतने भी मामले आए हैं उनमें न्यायपालिका देशवासियों को हमेशा न्याय दिया हैै और इस बात को सुनिश्चित किया है कि कोई भी अराजक तत्व देश की अस्मिता का खंडन ना कर पाए। देश की जनता को देश की न्याय पालिका पर पूरा भरोसा है। और ये भरोसा रविवार को राजधानी दिल्ली में मौजूद जंतर मंतर पर हुए वाक्यात के बाद भी कायम है।
हिन्दू सुरक्षा दल के सदस्य पिंकी चौधरी और उनके अनुयायिओं ने मुस्लिम समाज के लोगों के खिलाफ नफरत पैदा करने वाली बाते कहीं और देश की अखंडता को चोट पहूचाने वाले शब्द कहे। उस दौरान
अश्विनी उपाध्याय जो की पेशे से एक वकील हैं और समाज में परिवर्तन लाने के लिए निरंतर प्रयास करते आए हैं, भी मौजूद रहे। दिल्ली पुलिस ने उनपर भड़काऊ भाषण देने का आरोप लगाया और इसके चलते उन्हें गिरफ्तार भी किया। लेकिन सवाल ये है कि क्या देश के किसी भी नागरिक को ये अधिकार है की वो न्याय व्यवस्था से ऊपर जाकर संविधान की सीमाओं को लांघ कर किसी क्रिया की प्रतिक्रिया दे।
गाजियाबाद के डासना देवी मन्दिर में संत नरेशानंद पर चाकुओं से जो हमला हुए वो इसी का एक उदाहरण है। इस मुद्दे को जब प्रदीप भंडारी ने जनता का मुक़दमा में उठाया तो देश का पूरा समर्थन मिला। विषय की गहराई में जाने के लिए प्रदीप भण्डारी ने अपने कार्यक्रम में डासना देवी मन्दिर के महंत पीड़ित नरेशानंद जी के गुरु नरसिंहा नंदन सरस्वती जी को बुलाया और उनसे सीधे तौर पर कुछ सवाल पूछे।
प्रदीप भंडारी से बात करते हुए महंत जी ने कुछ बड़े खुलासे किए और धर्म के दलाल ठेकेदारों का पर्दाफाश कर दिया। नरसिंहा नंदन सरस्वती जी ने प्रदीप भंडारी को बताया की ये हमला उन्हीं को मारने की एक साज़िश थीं उन्होंने बताया कि उनके ऊपर आज से पहले कई बार जानलेवा हमले किए जा चुके हैं। उन्होंने बताया की डासना एक मुस्लिम बहुसंख्यक इलाका है और कुछ जिहादियों ने हमेशा उनकी जान लेने की कोशिश की है।
इसके अलावा नर्सिंघानंदन जी ने कहा कि जंतर मंतर पर जों हुआ वो मुस्लिम समाज के मन में भरी नफरत का जवाब था और मैं इसका समर्थन करता हूं। उन्होंने कहा कि जंतर मंतर पर नारे लगाने वाले सब हमारे ही शिष्य हैं।
नरसिंहा नंदन जी के इस बयान पर आपकी क्या प्रतिक्रिया है? आप नीचे कमेंट करके बता सकते हैं।