विपिन श्रीवास्तव, जन की बात
बिहार राजनीति के कुछ सबसे युवा नेताओं में से एक लोक जनशक्ति पार्टी के नेता चिराग पासवान आज जनता का मुकदमा में प्रदीप भंडारी से जुड़े और उन्होंने ‘जातीय जनगणना’ के साथ साथ अपने निजी राजनीतिक और बिहार के विकास पर बात की ।दरअसल आज जनता का मुकदमा में प्रदीप भंडारी ने चिराग पासवान से खास बातचीत की और बिहार में लोजपा के अंदर चल रही हलचल के साथ साथ जातीय जनगणना पर चर्चा की ।
जातीय जनगणना पर बात करने से पहले प्रदीप ने चिराग पासवान से पूछा कि आखिर क्या वजह थी कि बिहार में जातीय जनगणना पर हुई प्रधानमंत्री के साथ नेताओं की मीटिंग में आपको नही बुलाया गया ?
जिसके जवाब में चिराग ने कहा: मीटिंग के बारे में मुझे कोई जानकारी नही मिली, मुझे नही पता कि कौन कौन सी पार्टियां मीटिंग में शामिल हुई हैं लेकिन मुझे किसी का बुलावा नही आया ।
मीटिंग पर बुलावे को लेकर चिराग ने कहा ‘मुझे नही पता कि बुलाने का निर्णय नीतीश कुमार का था या नही, लेकिन मेरी पार्टी रजिस्टर्ड और और इस तरह के सर्वदलीय सम्मेलन में हमें न बुलाया जाना सोचने पर मजबूर करता है, क्योंकि लोकतांत्रिक तरीके से इस तरह की बैठकों में मेरी राय भी ली जानी चाहिए’
जातीय जनगणना पर क्या राय है ? इसके जवाब में चिराग ने कहा: “जातीय जनगणना जरूर होनी चाहिए, आज भी बिहार में जातिवाद को लेकर कई सारे भेदभाव हैं जैसे आज भी दलित दूल्हा घोड़ी पर बैठ के नही निकल सकता और इसी तरह के अन्य भेदभाव हो रहे हैं, जिनको दूर किया जाना चाहिए”
क्या चिराग आने वाले चुनाव में बीजेपी के साथ जाएंगे या जेडीयू के साथ जाएंगे, प्रदीप के इस सवाल के जवाब में कहा: “पिछले 15 सालों से नीतीश कुमार बिहार में सरकार चला रहे हैं लेकिन मेरे प्रदेश में कहीं भी विकास का कोई काम नही हुआ है । मेरा प्रदेश हर मामले में देश के सबसे निचले पायदान पर आता है ।मेरे प्रदेश में बेरोजगारी पर कोई काम नही हुआ है, इंफ्रास्ट्रक्चर पर कोई काम नही हुआ है एजुकेशन पर कोई काम नही हुआ है ।
आज भी मेरे प्रदेश के लोग मौका मिकते ही अपने बच्चों को बाहर दिल्ली, मुम्बई, बैंगलोर जैसे शहरों में पढ़ने को भेज देते हैं, जहां पढ़ाते भी बिहारी है, जहां संस्थान भी बिहारी का ही है, और जहां सुविधाएं भी बिहारी लोग ही उपलब्ध करा रहे हैं ।और बच्चा जाता है, वहीं पढ़ता है, वहीं नौकरी करता है और वहीं घर लेकर बस जाता है ।हमे इस पलायन को रोकना होगा तब ही बिहार विकास कर पायेगा।
फिलहाल तो चिराग ने अभी अपना कोई रुख साफ नही किया है लेकिन जिस तरह से वो धीरे धीरे यह जताने की कोशिश कर रहे हैं कि उन्हें किसी की जरूरत नही उससे तो यही लगता है कि बिहार राजनीति में चिराग अलग थलग हो चुके हैं । हालांकि उनकी बातें और उनका द्रष्टिकोण बिहार और बिहार की जनता के प्रति सकारात्मक ही है । देखना होगा कि आने वाले समय में चिराग की लौ किस तरफ बहेगी, या फिर चुनाव की आंधी में बुझ जाएगी ।