अमन वर्मा, जन की बात
जन की बात के संस्थापक प्रदीप भंडारी ने पंजाब चुनाव के पहले बड़ा सर्वे प्रस्तुत किया। आपको बता दें यह सर्वे 27 अगस्त से 3 सितंबर के बीच किया गया है। इस सर्वे के लिए पंजाब के अलग अलग हिस्सों से 10,000 लोगों से राय ली गई है।
अगले साल यानी 2022 में देश के 5 राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं, जिसमें पंजाब और उत्तर प्रदेश, के चुनावों पर सबकी नज़रे टिकी हुई हैं| पंजाब जहां सत्ताधारी पार्टी कांग्रेस के अंदरूनी मतभेद अब खुल कर सबके सामने आ चुकी है, जिसपर पंजाब कांग्रेस प्रदेश इनचार्ज हरीश रावत ने भी मुहर लगा दी है| इसी बीच जन की बात जिसे जमीनी मुद्दों के साथ ग्राउंड ज़ीरो से सर्वे करने में महारथ हासिल है, इंडिया न्यूज़ पर आज पंजाब चुनाव से पहले सबसे बड़ा सर्वे पेश किया।
जन की बात ने पंजाब में अपनी सबसे बड़ी टीम के साथ सर्वे किया, जिसमे जनता से जमीनी मुद्दों पर सवाल की ये गए,जब हमने जनता से पूछा कि, वरीयता के क्रम में पंजाब के मतदाताओं के लिए कौन सा मुद्दा सबसे महत्वपूर्ण है? इस प्रश्न के लिए हमने बिजली, महंगाई, किसान आंदोलन और बेरोजगारी जैसे विकलपों को जनता के सामने रखा। हमारे सर्वे के अनुसार सबसे अधिक 32 % लोगो ने माना कि आने वाले चुनावों में महंगाई सबसे बड़ा मुद्दा बनने वाला है, जिसके बाद 25% जनता ने कहा की किसान आंदोलन, बड़ा मुद्दा है, वहीं बिजली और बेरोज़गारी कैसे मुद्दों के लिए 22% और 17% लोगो ने माना कि वो उनके हिसाब से चुनाव का बड़ा मुद्दा बन सकता है|
हमारे सर्वे के अनुसार घरेलू महंगाई दर जनता के लिए परेशानी का सबब बनी हुई है, जिसमें कोरोना और लॉकडाउन की मार झेल रहे परिवारों को घर के रोज़ के खर्च चलने में दिकातों का सामना करना पड़ रहा है, महंगाई की परेशानी सिर्फ पंजाब तक सीमित नहीं है बल्कि अब ये बहू-राज्य मुद्दा बन चुका है| वहीं दिल्ली के करीब होने के कारण दिल्ली में मुफ्त बिजली पानी जैसी सुविधाओं से पंजाब के लोग काफी प्रभावित दिखे| जिसका फायदा पंजाब में आम आदमी पार्टी को ज़्यादा मिलता दिखा रहा है| इसके साथ ही किसान आंदोलन जो नए कृषि कानून पास होने के बाद से चला आ रहा है, जिससे लेकर राकेश टिकैत महीनों से दिल्ली बॉर्डर पर धरने पर बैठे हुए हैं, हमारे सर्वे के अनुसार किसान आंदोलन को पंजाब की जनता का काफी समर्थन मिलता दिख रहा है|
भारतीय जनता पार्टी के लिए पंजाब में मुश्किल समय चल रहा है क्योंकि किसान समुदाय में उसके नेतृत्व के खिलाफ गुस्सा है| इसी साल जुलाई के महीने में पटियाला के राजपुरा में किसानों द्वारा किए गए विरोध प्रदर्शन में एक दर्जन से अधिक बीजेपी नेताओं को बंधक बनाए जाने के बाद भाजपा के प्रति लोगों का गुस्सा साफ हो गया था, जिसे हमने अपने सर्वे में भी पाया|
केंद्र द्वारा लाए गए कृषि कानूनों कि वजह से भाजपा ने शिरोमणि अकाली दल के साथ अपने 23 साल पुराने गठबंधन की कीमत भी चुकाई है। बीजेपी शिरोमणि अकाली दल गठबंधन के टूटने के बाद बीजेपी जिसे कभी पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल जैसे दिग्गज नेता का समर्थन प्राप्त था, अब आगामी विधानसभा चुनाव में सिख प्रतिनिधियों को मैदान में लाने के लिए संघर्ष कर रही है।
आपको बता दे कि भाजपा अपने दम पर पंजाब में पिछले लोकसभा चुनाव में 9.63% से अधिक वोट शेयर हासिल नहीं कर पाई है। ऐसे में 2022 में होने वाले चुनाव में क्या होगा ये देखना बड़ी बात होगी| पंजाब इलेक्शन पर अपनी राय बताने के किए आप कू और ट्विटर पर #PunjabSurvey का प्रयोग कर हमें बता सकते हैं|
इसके पहले जन की बात के संस्थापक प्रदीप भंडारी ने 19 चुनावों का सटीक आकलन किया है।