रिषभ सिंह ,जन की बात
जन की बात के संस्थापक प्रदीप भंडारी ने पंजाब चुनाव के पहले बड़ा सर्वे प्रस्तुत किया। आपको बता दें यह सर्वे 27 अगस्त से 3 सितंबर के बीच किया गया है। इस सर्वे के लिए पंजाब के अलग अलग हिस्सों से 10,000 लोगों से राय ली गई है।
पंजाब के विधानसभा चुनावों में अब ज्यादा वक्त नहीं रह गया है। पंजाब के विधानसभा चुनाव मार्च 2022 में होने जा रहे हैं और चुनाव की गहमागहमी शुरू हो चुकी है। इस बात में कोई संदेह नहीं की इस बार के पंजाब चुनाव और अधिक रोचक होने जा रहे हैं, और इसकी बेहद सी वजह है,चाहे वह भाजपा का शिरोमणि दल से अलग होकर चुनाव लड़ना हो या फिर कांग्रेस में नवजोत सिंह सिद्धू और कैप्टन अमरिंदर सिंह के बीच चल रही नोकझोंक, इन सभी कारकों का पंजाब चुनाव के नतीजों पर क्या परिणाम होगा यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा। लेकिन हर चुनाव की तरह है इस चुनाव में भी जन की बात ने पंजाब की जनता का रुझान जानने के लिए एक सर्वे किया। इस सर्वे के अंदर 10000 लोगों से पंजाब चुनाव को लेकर अलग-अलग विषयों पर उनकी राय जानी गई और 10000 लोगों से मिले जवाबों के आधार पर सर्वे के परिणाम निकाले गए। बेहद रोचक रुप से सर्वे में सामने आया की पंजाब की जनता का रुझान आम आदमी पार्टी की ओर बढ़ रहा है और कांग्रेस कि ओर कम होता नजर आया , जहां एक ओर 37% लोगों ने आम आदमी पार्टी को पंजाब में 2022 का चुनाव जीतने के लिए चुना तो वहीं कांग्रेस को 23% लोगो ने। जबकि कांग्रेस पार्टी के राहुल गांधी पंजाब में दूसरे सबसे अधिक लोकप्रिय नेता के रूप में उभर कर सामने आए। पंजाब की 29% जनता ने राहुल गांधी को अपने लोकप्रिय नेता के रूप में चुना। जनता का मुकदमा के आज के एपिसोड में प्रदीप भंडारी ने इसी सर्वे को जनता के सामने रखा और बिन अतिथियों को आमंत्रित किया। कांग्रेस पार्टी की ओर से परनैल सिंह जी अपना पक्ष रखने आए। जन की बात के सर्वे के परिणाम पर्नैल सिंह को बताते हुए प्रदीप भंडारी ने उनसे नवजोत सिंह सिद्धू और कैप्टन अमरिंदर सिंह के बीच की नोकझोक को लेकर सवाल पूछा तो उन्होंने जवाब दिया की पार्टी सही के में कोई मतभेद नहीं है। हम आपको बता दें कि जहां एक और आम आदमी पार्टी पंजाब चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरती हुई नजर आ रही है तो वहीं दूसरी ओर नवजोत सिंह सिद्धू और कैप्टन अमरिंदर सिंह के बीच की नोंक झोंक का असर कांग्रेस की लोकप्रियता पर पड़ता दिखाई से रहा है।
इसके पहले जन की बात के संस्थापक प्रदीप भंडारी ने 19 चुनावों का सटीक आकलन किया है।