रिषभ सिंह, जन की बात
जन की बात के संस्थापक प्रदीप भंडारी ने पंजाब चुनाव के पहले बड़ा सर्वे प्रस्तुत किया। आपको बता दें यह सर्वे 27 अगस्त से 3 सितंबर के बीच किया गया है। इस सर्वे के लिए पंजाब के अलग अलग हिस्सों से 10,000 लोगों से राय ली गई है।
जब किसानों के आंदोलन पंजाब से दिल्ली के लिए कुच किया तो इन बड़ी-बड़ी गाड़ियों पर सवाल उठा कि क्या चंद किसानों ने आम किसानों के नाम पर सरकार को बदनाम करने की साजिश रची जा रही है. लेकिन सच्चाई ये है कि पंजाब के ज्यादातर किसान गरीब और बेबस हैं. उनकी ये बेबसी इस आंदोलन में सड़क किनारे साफ-साफ दिखती है. पंजाब का हर तीसरा किसान गरीबी रेखा से नीचे जीवन गुजा़र रहा है।
इंडिया न्यूज़ के सर्वे के अनुसार जब पंजाब की आम जनता से यह पूछा गया कि वह किसान आंदोलन के समर्थन में है या नहीं तब 70% लोगो ने यह कहा कि वे किसान आंदोलन का समर्थन करते हैं और बाकी 30% लोग ऐसे थे जिन्होंने किसान आंदोलन की ओर अपनी असहमति जताई।
किसान आंदोलन को पंजाब के लोगों का इतना समर्थन आखिर क्यों है? पूरे देश में लोग जानते हैं कि पंजाब के किसान सबसे उन्नत किसान है, पर बहुत कम लोग ही जानते हैं क पंजाब में हर तीसरा किसान गरीबी रेखा के नीचे जीवन गुजर बसर करता है और पंजाब के 96 फीसदी किसान गरीब हैं जबकि अमीर किसान सिर्फ 4 फीसदी है. छोटे और मंझोले किसान भी तनाव में ही रहते हैं, जिनमें हजारों किसान अब तक खुदकुशी कर चुके हैं.
आपको बता दें कि पंजाब के करीब 30 से अधिक किसान संगठनों ने मुख्य रूप से इस आंदोलन को बुना है जिनसे सरकार भी बात कर रही है और अब तक सरकार किसान से इस मुद्दे पर किसी सहमति की ओर अग्रसर नहीं हो पाई है। इसकी एक बड़ी वजह यह है कि ज्यादातर किसान किसान आंदोलन में क्यों बैठे हैं इसका उन्हें इल्म ही नहीं।
इसके पहले जन की बात के संस्थापक प्रदीप भंडारी ने 19 चुनावों का सटीक आकलन किया है।