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” Veer Savarkar: The Man Who Could Have Prevented Partition ” वीर सावरकर के बलिदान को न्याय दिलाने का काम करेगी यह किताब: विद्वान और अनुभवी पत्रकार उदय माहूरकर

जब भी देश में स्वतंत्रता सेनानियों की बात होती है तो अनेकों नाम हमारे सामने स्वर्णिम अक्षरों में उभर कर सामने आते हैं। इन्हीं नामों में से एक नाम है सावरकर ऐसा नाम जिसने देश की आजादी में सबसे अहम किरदार अदा किया था। लेकिन विडंबना यह है कि इस नाम का जितना नकारात्मक प्रचार हुआ है उतना शायद ही किसी अन्य स्वतंत्रता सेनानी का हुआ हो..

"वीर सावरकर: द मैन हू कैन्ड प्रिवेंटेड पार्टिशन" वीर सावरकर के बलिदान को न्याय दिलाने का काम करेगी यह किताब: विद्वान और अनुभवी पत्रकार उदय माहूरकर

वीर सावरकर के बलिदान और उनके त्याग को आज एक प्रश्न चिन्ह के साथ देखा जाता है इन्हीं तथ्यों पर रोशनी डालते हुए स्वतंत्रता सेनानी वीर सावरकर की जिंदगी के अनछुए पन्नों से रूबरू कराने के लिए वरिष्ठ पत्रकार, लेखक और राजनीतिक विश्लेषक उदय माहूरकर (Uday Mahurkar) व चिरायु पंडित ने एक किताब लिखी है। ” Veer Savarkar: The Man Who Could Have Prevented Partition ” में कई चौकाने वाले खुलासे किये है।

उन्होंने अपनी किताब में गांधी की हत्या से लेकर ब्रिटिश राज में क्षमादान मांगने तक का मज़ाक उड़ाए जाने, समाज को विभाजित करने वाले कहलाने से लेकर मुस्लिम भय और उसके बाद पाकिस्तान के गठन के मुख्य कारण के रूप में पेश किए जाने वाले अनेकों आरोपों पर कई चौकाने वाले खुलासे किये है।

क्या है इस किताब को लिखने के पीछे का उधेश्य

हमारे साथ बातचीत में विद्वान और अनुभवी पत्रकार उदय माहुरकर ने बताया की उन्होंने यह किताब सावरकराइट विद्वान चिरायु पंडित के साथ लिखी है जिसका नाम ” Veer Savarkar: The Man Who Could Have Prevented Partition ” हैं। लेखक सावरकर के चित्रण के साथ न्याय करने का काम कर रहे है।

"वीर सावरकर: द मैन हू कैन्ड प्रिवेंटेड पार्टिशन" वीर सावरकर के बलिदान को न्याय दिलाने का काम करेगी यह किताब: विद्वान और अनुभवी पत्रकार उदय माहूरकर

किताब में जिन तथ्यों के साथ सावरकर के जीवन को दिखाया गया है उससे यही परतीत होता है कि,स्वतंत्रता संग्राम के दौरान सावरकर के विश्व दृष्टिकोण की व्यापक स्वीकृति से विभाजन को रोका जा सकता था, और स्वतंत्रता के बाद उनके सिद्धांतों ने भारत को एक कठोर शक्ति के रूप में देखा था न कि कमजोर राष्ट्र की तरह।

विद्वान और अनुभवी पत्रकार उदय माहुरकर ने बताया की सावरकर सभ्यतागत हिंदू लोकाचार के व्यापक ढांचे के भीतर हिंदू-मुस्लिम एकता में विश्वास करते थे, जो हिंदू विचारधारा के साथ भारत के मुस्लिम नागरिकों पर समान रूप से लागू होता था।

सावकार और गाँधी के साथ साथ कैसा था उनका जीवन दर्शन

उदय माहुरकर ने बताया कि, दोनों ही एक महान शख्सियत थी दोनों परस्पर आपस में सिर्फ दो बार ही मिले थे, और उनकी यह मुलाकात बहुत ही सकारात्मक रही थी।
"वीर सावरकर: द मैन हू कैन्ड प्रिवेंटेड पार्टिशन" वीर सावरकर के बलिदान को न्याय दिलाने का काम करेगी यह किताब: विद्वान और अनुभवी पत्रकार उदय माहूरकर"वीर सावरकर: द मैन हू कैन्ड प्रिवेंटेड पार्टिशन" वीर सावरकर के बलिदान को न्याय दिलाने का काम करेगी यह किताब: विद्वान और अनुभवी पत्रकार उदय माहूरकर

इस बात का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि, वैचारिक मतभेदों के बावजूद कोई व्यक्तिगत पूर्वाग्रह नहीं था। गांधी के बारे में बात करते समय, सावरकर हमेशा उन्हें ‘महात्माजी’ के रूप में संबोधित करते थे। १९४३ में, जब गांधी जी २१ दिन के उपवास पर गए, सावरकर ने सर तेज बहादुर सप्रू को एक तार भेजा, जिसमें कहा गया था, ‘महात्मा गांधी का जीवन उनका नहीं है जितना कि यह एक राष्ट्रीय संपत्ति है।

सावरकर और अम्बेडकर पर क्या कहती है उदय माहुरकर की किताब

अगर हम उनकी किताब को देखें तो यह साफ़ दिखाई देता  है कि, सावरकर के प्रति अपने समर्थन को रेखांकित करने के लिए, अम्बेडकर अपनी पत्नी के साथ अदालत की कार्यवाही के दौरान आगे की पंक्ति में बैठे थे, जब मुकदमा चल रहा था!

ऐसे और भी विषय थे जिन पर दोनों नेताओं के बीच विचार-विमर्श हुआ, विशेष रूप से अस्पृश्यता और पाकिस्तान के प्रश्न पर। सावरकर की तरह अम्बेडकर भी मानते थे कि पाकिस्तान की भावना तुष्टीकरण की उपज है। शायद यह सावरकर का प्रभाव था जिसने अम्बेडकर को भारतीय धर्मों की धारा के भीतर बौद्ध धर्म में परिवर्तित कर दिया, और ईसाई धर्म या इस्लाम को नहीं चुना।

कई रहस्यों से पर्दा उठाएगी उदय माहुरकर की किताब “वीर सावरकर: द मैन हू कैन्ड प्रिवेंटेड पार्टिशन”

हमारे सा, इस किताब के अंदर वीर सावरकर के जीवन से जुड़े कुछ ऐसे दिलचस्प किस्से हैं जिन्हें आज तक जनता की नजरों से अनदेखा रखा गया था। उन्होंने हमारे साथ बातचीत के दौरान आगे बोलते हुए कहा कि, आप को इस किताब में पढ़ते हुए वीर सावरकर और भगत सिंह के बीच रिश्तो को कभी समझने का मौका मिलेगा। साथ ही उन्होंने कहा कि सावरकर के चरित्र को जिस प्रकार से आज के परिपेक्ष में वर्णित किया जाता है वह भी इस किताब के माध्यम से उनके चरित्र को न्याय दिलाने का काम करेगा।

कब होगी यह किताब प्रकाशित ?
यह किताब ‘रूपा पब्लिकेशंस इंडिया’ की ओर से प्रकाशित की गई है। इस किताब को नई दिल्ली स्थित ‘डॉ. आंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर‘ में 12 अक्टूबर की शाम करीब साढ़े चार बजे आयोजित एक कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि ‘राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ‘ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत लॉन्च करेंगे। केंद्रीय रक्षामंत्री राजनाथ सिंह इस कार्यक्रम की अध्यक्षता करेंगे।

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Sombir Sharma
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Sombir Sharma - Journalist

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