जन की बात के संस्थापक और जनता के वकील प्रदीप भंडारी ने शुक्रवार को अपने शो जनता का मुकदमा में लखबीर सिंह के न्याय के लिए आवाज उठाई। लखबीर सिंह वही हैं जिन्हें सिंघु बॉर्डर पर कथित आंदोलनकारियों ने मार मार कर मौत के घाट उतार दिया। लखबीर सिंह दलित समुदाय से आते हैं और पंजाब के तरनतारन के निवासी हैं। हत्यारों ने उन्हें इतना मारा कि उनकी मृत्यु हो गई और उनके हाथ को काट कर लटका दिया गया और उनके शव को उल्टा लटकाया गया। जैसा अफगानिस्तान में तालिबान करता है कुछ वैसा ही कथित आंदोलनकारियों ने उनके साथ किया। इस पूरे घटना पर जन की बात के संस्थापक और जनता का मुकदमा शो के होस्ट प्रदीप भंडारी ने आवाज उठाई और अपनी दलील प्रस्तुत की। प्रदीप भंडारी ने देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी अपील की कि वह जल्द से जल्द इस मामले का संज्ञान ले और हत्यारों के विरुद्ध सरकार कड़ी कार्यवाही करें क्योंकि भारत तालिबानी सोच से नहीं चलता है। ऐसा सिर्फ तालिबान राज में होता है और सरकार को ऐसे अराजक तत्वों के खिलाफ कार्यवाही करनी चाहिए।
प्रदीप भंडारी जब अपनी दलील प्रस्तुत कर रहे थे उस वक्त उनका गुस्सा भी काफी अधिक था और यह उनका गुस्सा नहीं बल्कि पूरे देश का गुस्सा था,क्योंकि वो देश की आवाज उठा रहे थे। पूरा देश मांग कर रहा है कि आंदोलन में हत्या, रेप जैसी घटनाएं हो रही हैं, सरकार इस पर चुप है। क्यों नहीं सरकार कोई कड़ी कार्यवाही करती है? देश के जनता के इसी आवाज को प्रदीप भंडारी अपने शो के माध्यम से देश के सामने रख रहे थे। उनकी दलील के एक छोटे से अंश को कुछ यूट्यूब पत्रकारों ने निकाल लिया और सोशल मीडिया पर प्रदीप भंडारी के खिलाफ प्रोपेगेंडा चलाने लगे। जो लोग उनके खिलाफ प्रोपेगेंडा चला रहे हैं यह शुरू से प्रदीप भंडारी के खिलाफ बोलते आ रहे हैं क्योंकि जब प्रदीप भंडारी हिंदुओं की आवाज उठाते हैं तब इन कथित पत्रकारों को मिर्ची लगती है। यह वही कथित पत्रकार है जो 26 जनवरी की हिंसा पर मौन रहते हैं और उसको अपना मौन समर्थन देकर जायज ठहराते हैं। इसमें से कई पत्रकार तो ऐसे हैं जो लखबीर सिंह की हत्या पर एक शब्द भी नहीं बोलते। ऐसा इसलिए क्योंकि उन्होंने पूर्व में लखबीर सिंह के हत्यारों का समर्थन किया है, उनकी आवाज को बढ़ावा दिया है।
प्रदीप भंडारी का गुस्सा जायज है क्योंकि किसी के हाथ काट देना , पैर काट देना, मार देना, यह भारत में नहीं ऐसा तालिबान राज में होता है। हैरान हूं कि लोग हत्यारों के खिलाफ बोलने के बजाय प्रदीप के खिलाफ बोल रहे हैं।#ISupportPradeepBhandari https://t.co/jDylWUg3mU
— विपिन त्रिपाठी (@Vipinrt09) October 16, 2021
राष्ट्रहित में जो भी बात करेगा वामपंथी उसे ऐसे ही टारगेट करते हैं, भाई @pradip103
जी हम आपके साथ हैं#ISupportPradeepBhandari pic.twitter.com/Dc1vYaI4Rj— बृज भूषण शुक्ला (@SPShukl01789906) October 16, 2021
स्क्रीन रंगीन करने और टीवी पर रो लेने से यह साबित नही हो जाता कि आपको देश की कितनी फिक्र है, उसके लिए आपका गुस्सा दिखना जरूरी है जो की आपको प्रोग्राम करते हुए हमे अक्सर आपके अंदर देश के प्रति प्रेम दिखाई देता है…@pradip103#ISupportPradeepBhandari
— Sandeep Sudan (@sandeepsudan) October 16, 2021
Whole nation is with you @pradip103#ISupportPradeepBhandari
— Sumeet Jindal (@write2sumeet) October 16, 2021
वो गला काटे,हाथ काटे,ज़िंदा लटका दे और उस दलित युवक की निर्मम हत्या कर दी,इन सबसे दिक़्क़त नहीं, लेकिन @pradip103 भाई ने इन आतंकवादियों को एक्स्पोज़ किया तो इनके दलालो को प्रदीप भाई की भाषा से दिक़्क़त हो रही..??
अब आप ये रिक्त स्थान भरिए👇🏻
आदेश रावल——है #ISupportPradeepBhandari https://t.co/55So6j3oNi— Kajal HINDUsthani (@kajal_jaihind) October 16, 2021
जब सोशल मीडिया पर इन कथित यूट्यूब पत्रकारों ने अपना प्रोपेगेंडा फैलाया। उसके बाद सोशल मीडिया के राष्ट्रवादी लोगों ने प्रदीप भंडारी के समर्थन में अपनी आवाज उठानी शुरू कर दी। कुछ ही मिनटों में सोशल मीडिया के राष्ट्रवादी लोगों ने #ISupportPradeepBhandari नामक हैशटैग चला दिया और सिर्फ कुछ मिनटों में ही यह हैशटैग नंबर वन हो गया। करीब 30 हजार से अधिक लोगों ने सोशल मीडिया पर प्रदीप भंडारी के समर्थन में पोस्ट किया और इन कथित पत्रकारों को एक्सपोज किया। इससे साफ जाहिर होता है कि देश प्रदीप भंडारी के साथ हैं और देश के राष्ट्रवादी लोग भी वही चाहते हैं जो प्रदीप भंडारी चाहते हैं।
We are with you Pradeep dada 👍💪 https://t.co/VO0p1pDGMA
— Mohit Gulati 🇮🇳 (@desimojito) October 16, 2021
देख लो अजित अंजुम ये होती है जॉर्नलिज्म की असली पहचान और भैया तुम सड़क छाप थे ,हो और रहोगे @ajitanjum @pradip103 pic.twitter.com/SxhuPFlgpK
— Pradeep Bhandari Fanclub🇮🇳 (@PradeepBfanclub) October 16, 2021