ऋषभ सिंह, जन की बात
महाराष्ट्र सरकार में मंत्री नवाब मलिक और एसीबी मुंबई जोन के डायरेक्टर समीर वानखेड़े की लड़ाई बढ़ती जा रही है, जो जंग सोशल मीडिया पर आरोप-प्रत्यारोप से शुरू हुई थी, अब वो कोर्ट में दस्तावेजों के दम पर लड़ी जा रही है। इस बार नवाब मलिक ने वानखेड़े के खिलाफ नया बम फोड़ दिया है, उन्होंने कुछ नए दस्तावेजों के दम पर दावा कर दिया है कि समीर वानखेड़े एक मुस्लिम हैं और उन्होंने खुद को अनुसूचित जाति का बताकर नौकरी ली थी।
वानखेड़े के पेपर्स कैसे मालिक तक पहुंचे?
वानखेड़े के वकील ने आगे कहा कि स्कूल ने ‘लिविंग सर्टिफिकेट’ सिर्फ समीर वानखेड़े और पुलिस को दिया। क्योंकि अनुसूचित जाति आयोग में समीर वानखेड़े ने शिकायत की थी। फिर नवाब मलिक के हांथ कहां से लगा ये स्कूल लिविंग सर्टिफिकेट। पुलिस के पास पहुंचा डॉक्यूमेंट नवाब मलिक को कैसे मिला?
22 नवंबर को कोर्ट का फैसला
अभी के लिए कोर्ट ने नवाब मलिक और वानखेड़े के तमाम दस्तावेज ले लिए हैं और अब 22 नवंबर को फैसला सुनाया जाएगा। आज की सुनवाई के दौरान जस्टिस माधव ने बताया है कि वे 22 नवंबर को शाम साढ़े पांच बजे अपना फैसला सुनाएंगे, उन्होंने ये भी निर्देश दे दिए हैं कि अब दोनों टीमें अपनी तरफ से कोई और दस्तावेज जारी नहीं कर सकेंगी।
वैसे इस पूरे मामले की बात करें तो ये शुरू जरूर मुंबई ड्रग्स केस से हुआ था, लेकिन इसको कोर्ट में ले जाने का काम समीर वानखेड़े के पिता ने किया था, उन्होंने नवाब मलिक पर मानहानि का केस ठोका था। समीर वानखेड़े ने भी कोर्ट से अपील की थी कि नवाब मलिक द्वारा उनके परिवार के खिलाफ कोई भी मानहानि का आरोप ना लगाए जाए। अब उसी मामले में नवाब मलिक ने झुकने के बजाय कोर्ट में कई दस्तावेज जमा करवा दिए हैं। वे अभी भी जोर देकर कह रहे हैं कि वानखेड़े ने धोखा दिया है, और झूठ का सहारा लेकर नौकरी प्राप्त की है।