आज संयुक्त किसान मोर्चा ने किसानों के लंबित मुद्दों को संबोधित करने वाले केंद्र सरकार के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया है । संयुक्त किसान मोर्चा ने बुधवार (08 दिसंबर) को घोषणा किया था कि उनका 14 महीने का आंदोलन गुरुवार (09 दिसंबर) को दोपहर 12 बजे बंद कर दिया जाएगा। लेकिन केंद्र सरकार द्वारा संशोधित प्रस्ताव की अंतिम प्रति प्राप्त होने के बाद ही गुरुवार दोपहर 12 बजे दिल्ली की सिंधु सीमा पर संयुक्त किसान मोर्चा की अहम बैठक हुई। इस बैठक में ही किसान आंदोलन को खत्म करने की अधिकारिक घोषणा कर दी गई ।
एक साल से ज्यादा से समय से जारी किसान आंदोलन आज खत्म हो गया । उन्होंने बताया कि 15 जनवरी को किसान मोर्चा की फिर बैठक होगी, जिसमें आगे की रणनीति पर चर्चा होगी। किसान आंदोलन वापसी के ऐलान के बाद 11 दिसंबर से दिल्ली बॉर्डर से किसान लौटने शुरू होंगे । बलवीर राजेवाल ने कहा किसान आंदोलन को स्थगित किया गया है और हर महीने एक बैठक होगी।
बताते चलें कि एमसपी पर कमिटी बनाने और आंदोलन के दौरान किसानों पर दर्ज हुए केस को वापस लेने को लेकर केंद्र सरकार की तरफ से लिखित आश्वासन के बाद किसानों मे आंदोलन खत्म करने पर सहमति बनी। आंदोलन के दौरान मारे गए किसानों के परिवारों को मुआवजे के मसले पर यूपी और हरियाणा की सरकारों ने सैद्धांतिक सहमति दे दी है। केंद्र की तरफ से भेजे गए प्रस्ताव पर गुरुवार सिंघु बॉर्डर पर संयुक्त किसान मोर्चा ने बैठक की। बैठक में इस बात पर सहमति बनी कि आंदोलन खत्म किया जाए। संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक शुरू होने से पहले ही आंदोलन स्थलों से किसानों ने अपने टेंट हटाने शुरू कर दिए।
आंदोलन की अगुआई करने वाले पंजाब के 32 किसान संगठनों ने अपना कार्यक्रम भी बनाया है ,जिसमें 11 दिसंबर को दिल्ली से पंजाब के लिए मार्च होगा। सिंघु और टिकरी बॉर्डर से किसान एक साथ पंजाब के लिए वापस रवाना होंगे। 13 दिसंबर को पंजाब के 32 संगठनों के नेता अमृतसर स्थित श्री दरबार साहिब में मत्था टेकेंगे। उसके बाद 15 दिसंबर को पंजाब में करीब 116 जगहों पर लगे मोर्चे खत्म कर दिए जाएंगे। हरियाणा के 28 किसान संगठन भी अलग से रणनीति बना चुके हैं।
किसान नेताओं ने कहा ये आंदोलन हिंदुस्तान के इतिहास में दर्ज हो चुका है कि हमारे कितने भाइयों ने अपनी जान इस आंदोलन के लिए न्योछावर कर दिए।