विपिन श्रीवास्तव, जन की बात
आज दिल्ली के विज्ञान भवन में उपराष्ट्रपति एम. वैंकेया नायडू ने ऋषिहुड विश्वविद्यालय का उद्घाटन किया। उद्घाटन समारोह की अगवानी संस्थान के कुलपति और राज्यसभा सदस्य श्री सुरेश प्रभु ने की। इस मौके पर मोतीलाल ओसवाल, डॉ चिन्मय पांडेय और अशोक गोयल जैसे संस्थापक सदस्यों ने भी अपने विचार व्यक्त किये।
उद्घाटन करने के बाद वैंकेया नायडू ने कहा कि जब स्वामी विवेकानंद ने हम में से प्रत्येक को ऋषि बनने का आवाह्न किया, तो उन्होंने हमें जीवन के एक ऐसे उद्देश्य का पालन करने के लोई प्रेरित किया जो हमें अपनी पूरी क्षमता प्राप्त करने के लिए प्रेरित करता है।
वैंकेया नायडू ने आगे कहा कि मुझे खुशी है कि इन सिद्धांतों पर ऋषिहुड यूनिवर्सिटी की स्थापना हुई है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में शिक्षा के गुणवत्ता संकेतकों में भारी सुधार करने की हमारी खोज में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। यह वास्तव में एक दूरदर्शी दस्तावेक है जो भारत में शिक्षा परिदृश्य को बदल सकता है। उन्होंने कहा गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के अलावा शिक्षकों को हमारे युवाओं में उद्देश्य की भावना भी पैदा करनी चाहिए और छात्रों में कठिन परिस्थितियों को समभाव और आत्मीयता के साथ संभालने की क्षमता पैदा करनी चाहिए।
इसी मौके पर उपराष्ट्रपति द्वारा ऋषिहुड के फैकल्टी सदस्यों और संस्थापकों द्वारा लिखित पुस्तकों का विमोचन किया गया। अजय गुप्ता, ऋषिहुड विश्वविद्यालय के सह-संस्थापक और बच्चन प्लेस्कूल के संस्थापक, ने एक किताब लिखी है जिसका शीर्षक है
‘डिकोडिंग दी बिजनेस माइंड’ जो एंटरप्रेन्योरशिप, वेल्थ क्रिएशन और आत्मानिर्भर के बारे में बात करती हैं भारत। राष्ट्रम स्कूल ऑफ पब्लिक लीडरशिप में संस्कृत और दर्शनशास्त्र के विद्वान प्रोफेसर संपदाानंद मिश्रा ने ऋषिहुड विश्वविद्यालय में भारत की ऋषि परंपरा पर एक कॉफी-टेबल बुक भी रखी है।
पूर्व मंत्री और राज्यसभा सदस्य और ऋषिहुड विश्वविद्यालय के संस्थापक चांसलर सुरेश प्रभु ने कहा कि ‘भारत का आध्यात्मिक ज्ञान आज की कई गंभीर समस्याओं को समाधान प्रदान करता है जैसे कि “स्थिरता, मानसिक स्वास्थ्य, वैश्विक शांति और सद्भाव। जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है, हमारा उद्देश्य प्रेरणा देना है। संस्थापक चांसलर के रूप में मुझे इस मिशन का समर्थन करने में खुशी हो रही है’