अलगाववादी नेता मोहम्मद यासीन मलिक को दिल्ली की अदालत ने मंगलवार (10 मई) को आतंकवाद और 2017 में कश्मीर घाटी में अलगाववादी गतिविधियों से संबंधित एक मामले में दोषी माना. यासीन मलिक को गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) का भी दोषी पाया गया है. अदालत ने यह भी कहा कि मलिक ने स्वतंत्रता संग्राम के नाम पर जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी और अन्य गैरकानूनी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए दुनिया भर से धन जुटाने के लिए तंत्र बनाया. अब यासीन मलिक को सजा 19 मई को सुनाई जाएगी.
यासीन मलिक ने दिल्ली की एक अदालत के सामने अपना गुनाह कबूल करते हुए कहा, “हां, मैं जम्मू कश्मीर में आतंकवादी और अलगाववादी गतिविधियों में शामिल रहा हूं.”
Separatist leader Yasin Malik pleads guilty before Delhi court in case related to terrorism and secessionist activities in J&K
— Press Trust of India (@PTI_News) May 10, 2022
अन्य कश्मीरी अलगाववादी नेताओं के खिलाफ भी आरोप तय किए
इस बीच, अदालत ने फारूक अहमद डार उर्फ बिट्टा कराटे, शब्बीर शाह, मसर्रत आलम, मोहम्मद यूसुफ शाह, आफताब अहमद शाह, अल्ताफ अहमद शाह, नईम खान, मोहम्मद अकबर खांडे, राजा मेहराजुद्दीन कलवाल, बशीर अहमद भट, जहूर अहमद शाह वटाली, शब्बीर अहमद शाह, अब्दुल राशिद शेख और नवल किशोर कपूर सहित अन्य कश्मीरी अलगाववादी नेताओं के खिलाफ भी औपचारिक रूप से आरोप तय किए.
यासीन मलिक पर 5 भारतीय वायुसेना कर्मियों की हत्या करने का आरोप
पुलवामा हमले के बाद घाटी में भारत विरोधी और अलगाववादी तत्वों के खिलाफ कार्रवाई के तहत मलिक 2019 से जेल में है. बाद में उन्हें एनआईए की हिरासत में भेज दिया गया और उन्हें जम्मू की कोट बलवाल जेल से दिल्ली की तिहाड़ जेल में स्थानांतरित कर दिया गया. वह जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (JKLF) के प्रमुख हैं, जो एक ऐसा संगठन है जिसे पुलवामा आतंकी हमले के तुरंत बाद प्रतिबंधित कर दिया गया था.
मलिक पर 1989 में पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी रुबिया सईद के अपहरण और 1990 की शुरुआत में 5 भारतीय वायुसेना कर्मियों की हत्या करने का भी आरोप है. यासीन मलिक पर कई मामले लंबित हैं. उस पर 1990 में वायु सेना के पांच अधिकारियों की हत्या करने का भी आरोप है. वह न्यायमूर्ति नीलकंठ गंजू की हत्या में भी कथित रूप से शामिल है, जिस न्यायाधीश ने जेकेएलएफ आतंकवादी मकबूल भट्ट और श्रीनगर में दूरदर्शन केंद्र के पूर्व निदेशक के लिए मौत की सजा का आदेश दिया था.