ज्ञानवापी मस्जिद सर्वे विवाद मामले में सुप्रीम कोर्ट में आज 3:00 बजे सुनवाई हुई. आज की सुनवाई में तीन जज जस्टिस डीवाय चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा के साथ जस्टिस सूर्य कांत को भी शामिल किया गया है. जस्टिस डीवाय चंद्रचूड़ ने कहा कि अंतरिम फैसला जारी रहेगा. 8 हफ्ते तक अंतरिम आदेश जारी रहेगा.
कोर्ट ने कहा कि मामला जिला जज के पास भेजा जाए. कोर्ट ने कहा कि जिला जज के पास 25 साल का लंबा अनुभव है. इस मामले में सभी पक्षों के हित को सुनिश्चित किया जाएगा. साथ ही यह भी कहा कि यह न समझा जाए कि हम मामले को निरस्त कर रहे हैं. आपके लिए आगे भी हमारे रास्ते खुले रहेंगे.
Supreme Court orders transfer of Gyanvapi mosque case to District Judge, Varanasi. Supreme Court orders that senior and experienced judicial officer of UP Judicial services will hear the case. pic.twitter.com/cE7KefXQYt
— ANI (@ANI) May 20, 2022
सुप्रीम कोर्ट ने दिए तीन सुझाव
ज्ञानवापी मस्जिद केस की सुनवाई शुरू होते ही जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि हम तीन सुझाव देते हैं. पहला ट्रायल कोर्ट को मामले का निपटारा करने दें. दूसरा, हमने एक अंतरिम आदेश पारित किया है जिसमें ट्रायल कोर्ट को किसी भी आदेश को देने पर रोक लगाई है उसे जारी रखा जाए, और तीसरा यह कि मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए ट्रायल कोर्ट को ही मामले में सुनवाई करनी दी जाये.
हम ट्रायल कोर्ट को चलने से नहीं रोक सकते हैं: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम ट्रायल कोर्ट को चलने से नहीं रोक सकते. शांति बनाए रखने के लिए संविधान में एक ढांचा बनाया गया है. जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि निचली अदालत को निर्देश देने के बजाय हमें संतुलन बनाना चाहिए. अहमदी ने उपासना स्थल कानून पर चर्चा शुरू की तो जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि ये आपका दूसरा नजरिया है. हम आदेश सात के नियम 11 की बात पर चर्चा कर रहे हैं.
रिपोर्ट लीक होने से सुप्रीम कोर्ट नाराज
आयोग की रिपोर्ट लीक होने पर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जताई. कोर्ट ने कहा कि आयोग की रिपोर्ट लीक नहीं होनी चाहिए और केवल न्यायाधीश के समक्ष पेश की जानी चाहिए. कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि मीडिया में लीक बंद होनी चाहिए. रिपोर्ट कोर्ट में जमा करनी थी. कोर्ट को इसे खोलना चाहिए था. हमें जमीन पर संतुलन और शांति की भावना बनाए रखने की जरूरत है. एक तरह से हीलिंग टच की जरूरत है. हम देश में संतुलन की भावना को बनाए रखने के लिए एक संयुक्त मिशन पर हैं.
हिंदू पक्ष ने दाखिल किया अपना जवाब
हिंदू पक्ष की ओर से वकील विष्णु जैन ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद एक मस्जिद नहीं है, क्योंकि मुगल सम्राट औरंगजेब ने इस भूमि पर किसी मुस्लिम या मुसलमानों के निकाय को जमीन सौंपने के लिए वक्फ बनाने का कोई आदेश पारित नहीं किया था. जवाब में कहा गया है कि इतिहासकारों ने पुष्टि की है कि इस्लामिक शासक औरंगजेब ने 9 अप्रैल 1669 को एक आदेश जारी किया था जिसमें उनके प्रशासन को वाराणसी में भगवान आदि विशेश्वर के मंदिर को ध्वस्त करने का निर्देश दिया गया था.